झारखंड में सियासी संकट (Jharkhand Political Crisis) के महागठंबधन JMM, RJD, कांग्रेस) विधायक दल के नेता चंपाई सोरेन (Champai Soren) को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया है. चंपाई ने गुरुवार शाम साढ़े 5 बजे राजभवन जाकर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की. उन्होंने 47 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया. चंपाई सोरेन के सीएम पद पर शपथ लेने की तारीख का ऐलान शुक्रवार को किया जाएगा.
बुधवार को हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी से ऐन वक्त पहले चंपाई सोरेन (Champai Soren) को महागठबंधन विधायक दल का नेता चुना गया था. जिसके बाद चंपाई ने गुरुवार को राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा था. राज्यपाल से मिलने से पहले उन्होंने विधायकों की गिनती भी करवाई. इसके बाद 5 विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने गए.
कौन हैं चंपई सोरेन, जो हेमंत सोरेन की जगह बनेंगे झारखंड के सीएम
चंपाई सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद ही उनके नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया गया है. चंपाई सोरेन ने लिखा, "हमने 47 विधायकों के समर्थन के दावे और 43 विधायकों की साइन का समर्थन पत्र आपको सौंपा है. 43 विधायक बुधवार को राजभवन के गेट के बाहर भी खड़े थे. पिछले 18 घंटों से राज्य में कोई सरकार नहीं है. इससे असमंजस की स्थिति है. इसलिए आग्रह है कि सरकार बनाने के लिए हमें बुलाया जाए."
निशिकांत दुबे का आरोप- चंपाई के पास नहीं है बहुमत
निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि JMM के 48-49 MLA हैं, लेकिन वो सिर्फ 42-43 का ही सिग्नेचर ले पाए हैं. सीता सोरेन, रामदास सोरेन बैठक में नहीं थे. कांग्रेस के कई नेता बैठक में नहीं थे. मुझे लगता है कि इनके पास MLA नहीं है चंपाई सोरेन के पास बहुमत नहीं है.
हैदराबाद शिफ्ट किए जा सकते हैं महागठबंधन के विधायक
झारखंड में सियासी संकट के बीच खबर है कि महागठबंधन (JMM, RJD, कांग्रेस) अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर सकता है. विधायक दल के नेता चंपाई सोरेन समेत 5 MLA रांची में रहेंगे, जो हालात पर नजर रखेंगे. बाकी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया जाएगा. पूरे मामले पर बीजेपी ने भी शुक्रवार 2 फरवरी को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है.
शिबू सोरेन के बेहद खास माने जाते हैं चंपाई
चंपाई सोरेन को 'झारखंड टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है. झारखंड की सियासी गलियारों में चंपाई को शिबू सोरेन का हनुमान कहा जाता है. सरायकेला से इन्होंने 1991 से 2019 के बीच 6 बार विधानसभा का चुनाव जीता. 2000 में सिर्फ एक बार हारे. हेमंत सोरेन जब पहली बार सीएम बने थे, तब इन्हें फूड सप्लाई और साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर बनाया गया था.
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पूरी तरह समर्पित कार्यकर्ता
चंपाई सोरेन झारखंड आंदोलन के वक्त से ही शिबू सोरेन से जुड़े हुए हैं. इनकी गिनती न सिर्फ सोरेन परिवार के भरोसेमंद नेता के रूप में होती है, बल्कि वह पूरी तरह समर्पित कार्यकर्ता भी कहे जाते हैं. चंपाई को सीएम बनाना इसी वफादारी का इनाम माना जा रहा है.
इससे पहले 2009 में जब सीएम रहते शिबू सोरेन तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे, तब भी चंपाई का नाम सीएम पद के लिए उछला था. लेकिन, तब उनका सीएम बनना संभव नहीं हो पाया था.
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