आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि संशोधनों ने संविधान की मूल संरचना या सुप्रीम कोर्ट के 1992 के फैसले का उल्लंघन नहीं किया है. इंद्रा साहनी मामले में, और यह कि आरक्षण पर पचास प्रतिशत की सीमा यह केवल अनुच्छेद 15 (4), 15 (5) और 16 (4) के तहत किए गए आरक्षण पर लागू होता है और अनुच्छेद 15 (6) पर लागू नहीं होता है. सरकार ने कहा कि यह कदम आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था, इसके अध्यक्षता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस.आर. सिन्हा थे. दरसअल संवैधानिक (103 वां संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है. गौरतलब है कि सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर दिए 10 फीसदी आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हम इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजकर न्यायिक परीक्षण करने पर अगली तारीख को विचार करेंगे. ये तय करेंगे की इसे संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट 28 मार्च को करेगा सुनवाई.
जेईई मेन परीक्षा में आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को मिलेगा आरक्षण
आपको बता दें कि सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था लेकिन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 50%की अधिकतम आरक्षण की सीमा का उल्लंघन होता है. इससे पहले इसी मामले में यूथ फ़ॉर इक्वलिटी, जीवन कुमार, विपिन कुमार और पवन कुमार व तहसीन पूनावाला आदि की याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है. अब सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा.
आर्थिक आरक्षण पर फिलहाल रोक नहीं
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