नई दिल्ली:
केंद्र सरकार और प्रतिबंधित संगठन युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के एक गुट के बीच सोमवार को हुई वार्ता रचनात्मक और सकारात्मक रही। यहां अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सरकार के साथ वार्ता के इच्छुक उल्फा के इस गुट के पांच सदस्यों ने संगठन के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा की अगुवाई में केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह और गृह मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बैठक की।
सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया, "बातचीत रचनात्मक और सकारात्मक रही। यह चर्चा लाभप्रद रही। मैं समझता हूं कि इस बैठक में हमने अच्छी प्रगति हासिल की है।"
उल्फा टीम ने बैठक में अन्य मुद्दों के बीच असम के मूल निवासियों के संरक्षण का मुद्दा भी उठाया।
राजखोवा ने कहा, "हमने असम में शांति और विकास से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की। हम बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राजी हैं।"
वार्ता में राजखोवा के अलावा उल्फा टीम के अन्य सदस्यों में राजू बरुआ, चित्रबन हजारिका, प्रणति डेका और मिथिंगा दायमरी शामिल थे।
इस गुट के एक अन्य वरिष्ठ नेता राजू बरुआ ने वार्ता में हुई प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट की और कहा कि सोमवार को हुई चर्चा सकारात्मक रही।
बरुआ ने कहा, "निर्णायक दौर में पहुंचने तक हम अधिक खुलासा करना नहीं चाहते। हम केवल इतना कह सकते हैं कि हमारी मांगों के प्रति भारत सरकार का रुख अत्यंत सकारात्मक रहा।" उन्होंने यह भी कहा, "वार्ता के दौरान यदि हमें लगेगा कि संविधान आड़े आ रही है तो निश्चित रूप से हम संविधान में संशोधन की मांग उठाएंगे।"
ज्ञात हो कि उल्फा का वार्ता समर्थक गुट असम में स्थायी शांति के लिए पिछले साल से सरकार के साथ बातचीत कर रहा है और वह सरकार को 12 सूत्री मांगपत्र पहले ही सौंप चुका है।
सरकार और इस गुट के बीच इससे पहले पिछले साल 25 अक्टूबर को वार्ता हुई थी।
सरकार के साथ वार्ता के इच्छुक उल्फा के इस गुट के पांच सदस्यों ने संगठन के अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा की अगुवाई में केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह और गृह मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बैठक की।
सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया, "बातचीत रचनात्मक और सकारात्मक रही। यह चर्चा लाभप्रद रही। मैं समझता हूं कि इस बैठक में हमने अच्छी प्रगति हासिल की है।"
उल्फा टीम ने बैठक में अन्य मुद्दों के बीच असम के मूल निवासियों के संरक्षण का मुद्दा भी उठाया।
राजखोवा ने कहा, "हमने असम में शांति और विकास से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की। हम बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राजी हैं।"
वार्ता में राजखोवा के अलावा उल्फा टीम के अन्य सदस्यों में राजू बरुआ, चित्रबन हजारिका, प्रणति डेका और मिथिंगा दायमरी शामिल थे।
इस गुट के एक अन्य वरिष्ठ नेता राजू बरुआ ने वार्ता में हुई प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट की और कहा कि सोमवार को हुई चर्चा सकारात्मक रही।
बरुआ ने कहा, "निर्णायक दौर में पहुंचने तक हम अधिक खुलासा करना नहीं चाहते। हम केवल इतना कह सकते हैं कि हमारी मांगों के प्रति भारत सरकार का रुख अत्यंत सकारात्मक रहा।" उन्होंने यह भी कहा, "वार्ता के दौरान यदि हमें लगेगा कि संविधान आड़े आ रही है तो निश्चित रूप से हम संविधान में संशोधन की मांग उठाएंगे।"
ज्ञात हो कि उल्फा का वार्ता समर्थक गुट असम में स्थायी शांति के लिए पिछले साल से सरकार के साथ बातचीत कर रहा है और वह सरकार को 12 सूत्री मांगपत्र पहले ही सौंप चुका है।
सरकार और इस गुट के बीच इससे पहले पिछले साल 25 अक्टूबर को वार्ता हुई थी।
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