प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निदेशक संजय कुमार मिश्रा (Sanjay Kumar Mishra) का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र ने कहा है कि ये याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं. कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाएं राजनीति से प्रेरित हैं. याचिकाकर्ता उन राजनीतिक दलों से संबंधित हैं जिनके नेता वर्तमान में ED की जांच के दायरे में हैं.
हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि याचिकाकर्ता जया ठाकुर, साकेत गोखले, रणदीप सिंह सुरजेवाला और महुआ मोइत्रा या तो कांग्रेस पार्टी या तृणमूल कांग्रेस के हैं, जिनके शीर्ष नेताओं की जांच ED द्वारा की जा रही है. ज्यादातर मामलों में सक्षम अदालतों ने या तो मामले का संज्ञान लिया है या संवैधानिक अदालतों ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया है.
केंद्र ने कहा है कि याचिकाकर्ता को केवल तभी यह भरोसा होगा कि ये एजेंसियां स्वतंत्र हैं, यदि ये एजेंसियां राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा किए गए अपराधों से आंखें मूंद लें.
केंद्र ने निदेशक के सेवा विस्तार का बचाव करते हुए कहा कि यह विस्तार इसलिए किया गया कि विशेषज्ञता वाली प्रमुख एजेंसी को प्रशासित किया जाना एक सतत प्रक्रिया है और संगठन का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति का कार्यकाल 2 से 5 वर्ष का होना चाहिए.
केंद्र ने तर्क दिया कि इस जनहित याचिका को दायर करने में एक स्पष्ट राजनीतिक रुचि है. राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं, यहां तक कि यह भी उल्लेख किए बिना कि उनकी पार्टियों के नेताओं की वर्तमान में ED द्वारा जांच की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगा.
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