मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन (Krishnamurthy Subramanian) ने प्राइवेट कंपनियों को संदेश देते हुए कहा कि कंपनियों को सरकार के सामने हमेशा वित्तीय पैकेज के लिए नहीं रोना चाहिए और उन्हें खुद के पैरों पर खड़ा होना सीखना चाहिए. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सुब्रमणियन (Krishnamurthy Subramanian) ने कहा कि कंपनियों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार के समर्थन की जरूरत कंपनियों को शुरुआत में होती है, उस समय नहीं, जब वो आगे बढ़ रही हों. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, 'भारत में प्राइवेट सेक्टर 1991 से हैं और अब वह 30 साल का है. एक 30 साल के आदमी को अब यह कहने की जरूरत है कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो सकता हूं. मुझे पापा के पास जाने की जरूरत नहीं है.'
मौजूदा आर्थिक मंदी 'अभूतपूर्व स्थिति', 70 साल में कभी ऐसा नहीं हुआ : नीति आयोग उपाध्यक्ष
उन्होंने कहा, 'हमें आगे बढ़ने की जरूरत है. हम एक मार्केट इकोनॉमी हैं. जहां जब कोई संपत्ति को सही से नहीं संभालता तो इसका दोबारा आवंटन कर दिया जाता है.' सुब्रमणियन ने यह बातें जना स्मॉल फाइनेंस बैंक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं.
बता दें कि मौजूदा आर्थिक गिरावट को 'अभूतपूर्व स्थिति' करार देते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है, "पिछले 70 सालों में (हमने) तरलता (लिक्विडिटी) को लेकर इस तरह की स्थिति का सामना नहीं किया, जब समूचा वित्तीय क्षेत्र (फाइनेंशियल सेक्टर) आंदोलित है..." समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, नीति आयोग उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार को 'हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे प्राइवेट सेक्टर की चिंताओं में से कुछ को तो दूर किया जा सके...'
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देश के शीर्ष अर्थशास्त्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल के दौरान वृद्धि की सबसे खराब गति को निहार रही है. राजीव कुमार ने कहा, "सरकार बिल्कुल समझती है कि समस्या वित्तीय क्षेत्र में है... तरलता (लिक्विडिटी) इस वक्त दिवालियापन में तब्दील हो रही है... इसलिए आपको इसे रोकना ही होगा..."
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