
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बालाकोट के बाद भारत की सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव की बात कही
- उन्होंने सीमा विवाद को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए चीन के साथ विवाद को विशेष रूप से गंभीर माना
- जनरल चौहान ने चार प्रकार के खतरों का उल्लेख करते हुए आंतरिक और बाहरी दोनों खतरों पर ध्यान दिया
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को एक बार फिर दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमने बालाकोट के बाद अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया था. CDS ने आगे कहा कि दुश्मन परमाणु हथियारों से लैस है. सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती है. आजादी के बाद से सीमा विवाद को लेकर कई लड़ाइयां हुईं. चीन के साथ सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती है. फिर क्षेत्रीय अस्थिरता.
CDS ने कहा कि देश में चार तरह के खतरे होते हैं. आतंरिक खतरे, बाहरी खतरे, बाहरी सहयोगी से उत्पन्न आतंरिक खतरे और आंतरिक सहयोग से उत्पन्न आतंरिक खतरे. मेरा ये मानना है कि किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा को हम तीन स्तर पर देख सकते हैं.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सिर्फ आतंकवादी घटनाओं का बदला लेना नहीं था. हम तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाकर रखने का काम करते हैं. इसमें सफलता मिली. तीनों सेनाओं की रिहर्सल जरूरी थी.राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां निरंतर बदलती रहती है. पहली चुनौती सीमा विवाद का है. चीन के साथ सीमा विवास सबसे बड़ी चुनती है. दूसरी चुनौती पाकिस्तान की ओर से है. भारत के पड़ोसी देश किसी न किसी अस्थिरता से गुजर रहे हैं. युद्ध का स्वरूप बदल रहा है. हमारे विरोधी परमाणु हथियारों से लैस हैं. यह भी चुनौती है. किसी भी राष्ट्र के सैन्य क्षमता की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि वहां की सरकार ने शांति काल में रक्षा क्षेत्र पर कितना खर्च किया.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भी CDS अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' अभी भी जारी है. उन्होंने कहा है कि देश को चौबीस घंटे व पूरे साल बहुत उच्च स्तर की सैन्य तैयारी रखनी चाहिए
युद्ध का विजेता कौन होता है
उन्होंने कहा था कि युद्ध के इस परिदृश्य में, भावी सैनिकों को सूचना, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के मामले में विद्वान होना होगा.
'नंबर 4 वॉरफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रेटेजी प्रोग्राम' के तत्वावधान में 'एयरोस्पेस पावर : प्रिजर्विंग इंडियाज़ सोवरेनिटी एंड फर्दरिंग नेशनल इंट्रस्ट्स' विषय पर यह सेमिनार आयोजित किया गया था.
सेमिनार को संबोधित करते हुए सीडीएस ने कहा था कि युद्ध में कोई भी उपविजेता नहीं होता और किसी भी सेना को लगातार सतर्क रहते हुए उच्च स्तर की अभियानगत तैयारी रखनी चाहिए. जनरल चौहान ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर इसका एक उदाहरण है, जो अब भी जारी है. हमारी तैयारी का स्तर बहुत ऊंचा होना चाहिए, चौबीस घंटे, 365 दिन. सीडीएस ने शस्त्र और शास्त्र दोनों के बारे में सीखने के महत्व पर भी जोर दिया.
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