
- भारत के CDS अनिल चौहान ने चीन के साथ अनसुलझे सीमा विवाद को सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती बताया.
- पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ छद्म युद्ध और हजारों जख्म देने की नीति को दूसरी सबसे गंभीर चुनौती माना गया.
- क्षेत्रीय अस्थिरता से उत्पन्न सुरक्षा खतरे और पड़ोसी देशों में सामाजिक राजनीतिक संकट को तीसरी चुनौती बताया.
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा ‘‘छद्म युद्ध'' और ‘‘हजारों जख्मों से भारत को लहूलुहान करने'' की उसकी नीति दूसरी सबसे गंभीर चुनौती है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए CDS जनरल चौहान ने क्षेत्रीय अस्थिरता और उसके भारत पर प्रभाव को तीसरी बड़ी चुनौती के रूप में तथा तेजी से बदलते चुनौतीपूर्ण माहौल में उच्च प्रौद्योगिकी से युक्त भविष्य के युद्धक्षेत्र परिदृश्यों से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों को चौथी बड़ी चुनौती के रूप में चिह्नित किया.
जनरल चौहान ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दो प्रतिद्वंद्वियों से उत्पन्न खतरों से निपटना भारत के समक्ष एक और बड़ी चुनौती है, क्योंकि उसे किसी भी तरह के पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार रहना होगा.
ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकवाद पर लक्ष्मण रेखा खींचना भी थाः सीडीएस
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को ‘ऑपरेशन सिंदूर' चलाने के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई थी और इसका उद्देश्य न केवल पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेना था, बल्कि सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर एक ‘‘लक्ष्मण रेखा'' भी खींचना था. जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर' चलाया गया था, जिसमें पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था.

सीडीएस ने कहा- एनएसए ने सेना को मार्गदर्शन दिया
‘ऑपरेशन सिंदूर' पर अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में, सीडीएस ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने सेना को मार्गदर्शन प्रदान करने के संदर्भ में ‘ऑपरेशन सिंदूर' की योजना बनाने और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लक्ष्य चयन, सैनिकों की तैनाती आदि के लिए रूपरेखा और कूटनीति का उपयोग शामिल था.
पहली चुनौती- चीन से सीमा विवाद, दूसरी- पाकिस्तान का छद्म युद्ध
जनरल चौहान का संबोधन मुख्यत: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर केंद्रित था. उन्होंने कहा ‘‘मैं चीन के साथ अनसुलझे सीमा विवाद को सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं. दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध चलाया जा रहा छद्म युद्ध है. पाकिस्तान की रणनीति भारत को हज़ार जख्म देकर लहूलुहान करने की रही है. इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर भारत को धीरे-धीरे चोट पहुंचाते रहो और देश में खून बहाना जारी रखो.''
तीसरी चुनौती- क्षेत्रीय अस्थिरता से उपजी सुरक्षा चुनौती
उन्होंने कहा कि तीसरी सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती क्षेत्रीय अस्थिरता से उत्पन्न हो रही है, खासकर जिस तरह से भारत के पड़ोसी देश सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अशांति का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति भारत को भी प्रभावित करती है.

चौथी चुनौती- भविष्य में हम किस तरह से युद्ध लड़ेंगे
जनरल चौहान ने कहा ‘‘चौथी चुनौती यह होगी कि भविष्य में हम किस तरह के युद्ध लड़ेंगे. युद्ध के तरीके तेज़ी से बदल रहे हैं. भविष्य के युद्ध केवल ज़मीन, हवा और पानी तक ही सीमित नहीं होंगे. इसमें अंतरिक्ष, साइबर और विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र भी शामिल होंगे. हमारे लिए ऐसे परिदृश्य के लिए समायोजन करना और खुद को तैयार रखना एक चुनौती होगी.''
पांचवीं चुनौती- पारंपरिक युद्ध लड़ेंगे या कैसा अभियान चुनेंगे
पांचवीं चुनौती के बारे में, सीडीएस ने कहा, ‘‘हमारे दोनों प्रतिद्वंद्वी परमाणु हथियारों से लैस हैं और यह हमारे लिए एक चुनौती बनी रहेगी कि हम किस तरह का पारंपरिक युद्ध लड़ेंगे और उनसे निपटने के लिए हम किस तरह का अभियान चुनेंगे.''
छठी चुनौती- भविष्य के युद्ध पर प्रौद्योगिकी और उसके प्रभाव
जनरल चौहान ने कहा कि छठी चुनौती भविष्य के युद्ध पर ‘‘प्रौद्योगिकी और उसके प्रभाव'' को लेकर है. ‘ऑपरेशन सिंदूर' के कुछ विवरण साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि सेना को लक्ष्यों की योजना बनाने और उनका चयन करने सहित पूरी स्वतंत्रता थी. उन्होंने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य न केवल (पहलगाम) आतंकवादी हमले का बदला लेना था, बल्कि हमारे धैर्य की सीमा भी तय करना था.''
सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में NSA की भूमिका अहम
सीडीएस ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘एनएसए ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें लक्ष्य चयन, आकार और समय के मुताबिक सैनिकों की तैनाती -- इसे बिना और तनाव बढ़ाये कैसे किया जाए, तनाव कम करने की रूपरेखा और कूटनीति का उपयोग शामिल था.''
तीनों सेनाओँ के साथ बेहतर तालमेल भी जरूरी
जनरल चौहान ने कहा कि 7 से 10 मई तक चले ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाओं का तालमेल भी पूरी तरह से प्रदर्शित हुआ. इस संदर्भ में, उन्होंने तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘हमने थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संचार प्रणालियों में तालमेल बिठाने की कोशिश की, हमने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों और ड्रोन रोधी उपकरणों में भी तालमेल बिठाने की कोशिश की.''
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में, उन्होंने विभिन्न उभरते खतरों और चुनौतियों का गहन विश्लेषण किया और कहा कि युद्ध राजनीति का ही एक विस्तार है.
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