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This Article is From Jul 08, 2020

CBSE ने सिलेबस से हटाए 'धर्मनिरपेक्षता' जैसे अहम चैप्टर, पूर्व NCERT डायरेक्टर बोले- बच्चों के पढ़ने, समझने के अधिकार छीने जा रहे हैं

जानकारी है कि बोर्ड ने स्कूलों में लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद, नागरिकता और निरपेक्षवाद जैसे अहम चैप्टर हटा दिए हैं. शिक्षा संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के कई जानकारों और विशेषज्ञों ने बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है.

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CBSE ने सिलेबस से हटाए 'धर्मनिरपेक्षता' जैसे अहम चैप्टर,  पूर्व NCERT डायरेक्टर बोले- बच्चों के पढ़ने, समझने के अधिकार छीने जा रहे हैं
CBSE ने कक्षा नौवीं से 12वीं तक पॉलिटिकल साइंस को संशोधित किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

नेशनल एजुकेशन बोर्ड Central Board of Secondary Education (CBSE) ने मंगलवार को कोरोनावायरस संकट के बीच 2020-21 के शिक्षा सत्र में बच्चों के ऊपर सिलेबस का बोझ कम करने के लिए स्कूलों में कोर्स को 30 फीसदी कम करने की घोषणा की थी, जिसके बाद जानकारी है कि बोर्ड ने स्कूलों में लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद, नागरिकता और निरपेक्षवाद जैसे अहम चैप्टर हटा दिए हैं. शिक्षा संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के कई जानकारों और विशेषज्ञों ने बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है.

क्या-क्या हटाया गया है?

बोर्ड ने कक्षा नौ से 12वीं तक के इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस विषयों को रिवाइज़ किया है, जिसमें कक्षा 11वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और निरपेक्षवाद जैसे अध्यायों को 'पूरी तरह हटा' दिया गया है. 'Local Government' चैप्टर से बस दो यूनिट हटाए गए हैं. इसमें  'Why do we need Local Governments?' और 'Growth of Local Government in India' शामिल हैं. 

कक्षा 12वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से 'Security in the Contemporary World', 'Environment and Natural Resources', 'Social and New Social Movements in India' और 'Regional Aspirations' चैप्टर्स को तो पूरी तरह से हटा दिया गया है. 'Planned Development' चैप्टर से 'changing nature of India's economic development' और 'Planning Commission and Five Year Plans' यूनिट को हटा दिया गया है.

वहीं, भारत के विदेशी देशों से रिश्तों पर मौजूदा चैप्टर से इस सत्र के लिए 'India's Relations with its Neighbours: Pakistan, Bangladesh, Nepal, Sri Lanka, and Myanmar' टॉपिक को हटा दिया गया है. 

कक्षा नौवीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से 'Democratic Rights' और 'Structure of the Indian Constitution' अध्यायों तक को हटा दिया गया है. वहीं, नौवीं कक्षा के ही इकोनॉमिक्स के सिलेबस से 'Food Security in India' चैप्टर को हटाया गया है. 

कक्षा 10वीं के बच्चों के सिलेबस से 'Democracy and Diversity', 'Caste, Religion and Gender' और 'Challenges to Democracy' के अध्याय गायब हैं.

जानकारों ने उठाए हैं सवाल

CBSE के इस कदम पर NCERT के पूर्व डायरेक्टर कृष्ण कुमार ने NDTV से कहा कि CBSE की किताबों से चैप्टर्स को हटाकर बच्चों के पढ़ने और समझने के अधिकार को छीना जा रहा है. उन्होंने कहा, 'सरकार ने जिन चैप्टरों को हटाने का फैसला किया है उसमे अंतर्विरोध है. आप Federalism के चैप्टर को हटाकर Constitution बच्चों को पढ़ाएं -- ये कैसे होगा? आप सोशल मूवमेंट्स के चैप्टर को हटाएं और History पढ़ाएं - ये कैसे होगा? History सोशल मूवमेंट से ही तो निकलती है.' ये पहल बच्चों में रटने की प्रकृति को बढ़ावा देगी. 

उन्होंने सवाल उठाया कि 'किसी भी चैप्टर को डिलीट करने की क्या ज़रूरत है? एग्ज़ाम पर आधारित शिक्षा व्यवस्था क्यों लागू करने की कोशिश हो रही है? एग्ज़ाम लेने के लिए CBSE की किताब से किसी चैप्टर को हटाना क्यों जरूरी है?' कृष्ण कुमार 2004 से 2010 के बीच NCERT के डायरेक्टर थे.

CBSE क़िताबों के सह-लेखक और पॉलिटिकल साइंटिस्ट सुहास पल्शिकर ने भी NDTV से बातचीत में इस कदम पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि 'किसी भी किताब का एक लॉजिक होता है. अगर किसी किताब का कोई हिस्सा हटाया ता है तो उस लॉजिक के साथ हिंसा होती है, वो उस लॉजिक के खिलाफ होता है. मैं समझता हूं कि कुछ चैप्टर्स डिलीट किए गए हैं जो डाइवर्सिटी (विविधता) के आइडिया से जुड़े हैं- जैसे जेंडर और फेडरलिज्म. डाइवर्सिटी किसी भी लोकतंत्र की आत्मा होती है. अगर डाइवर्सिटी से जुड़े चैप्टर हटाए जाते हैं तो डेमोक्रेसी की सोच को चोट पहुंचती है.' 

पलिश्कर ने कहा, 'स्कूली बच्चों पर बोझ कम करने के और भी अच्छे तरीके हो सकते हैं. ये तय हो सकता है कि एक किताब सिलेबस में हो जिसे पढ़ाया जाए और एक सप्लीमेंट्री माना जाए जिससे बच्चे अपनी स्वेच्छा से पढ़ें. मुझे नहीं पता कि चैप्टर्स को किनके कहने पर या सलाह पर हटाया गया है.'

Video: CBSE ने 9वीं से 12वीं क्लास के लिए 30 फीसदी सिलेबस किया कम

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