सीबीआई ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक बड़े घूसखोरी का भंडाफोड़ करते हुए दो वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञों सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया. सीबीआई की ये कार्रवाई तकनीकी निगरानी आधारित अभियान का नतीजा रही. सीबीआई ने कार्रवाई करने से पहले अपनी जानकारी की पुष्टि करने के लिए फर्जी मरीजों का सहारा लिया. इस मामले की तह तक जाने में मदद मिली. मामले की जांच में भुगतान के तरीके, मुख्य रूप से यूपीआई, बैंक ट्रांसफर और नकद लेने-देन की भी पुष्टि हुई.
मेडिकल उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए बिक गए डॉक्टर
अधिकारियों के मुताबिक हृदय रोग विभाग के प्रोफेसर अजय राज और सहायक प्रोफेसर पर्वत गौड़ा चन्नप्पागौड़ा को मेडिकल उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं से उनके उत्पादों और स्टेंट का उपयोग करने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई ने नागपाल टेक्नोलॉजीज के चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ता नरेश नागपाल को गिरफ्तार किया है, जिसे उसकी कंपनी के चिकित्सा उपकरणों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए पर्वत गौड़ा को 2.48 लाख रुपये का भुगतान करना था.
उन्होंने दावा किया कि भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल जिन्होंने यूपीआई का उपयोग करके अजय राज को कई बार रिश्वत दी. अबरार अहमद जिसने अस्पताल में 'कैथ लैब' प्रभारी रजनीश कुमार को रिश्वत दी. एजेंसी ने दावा किया गया कि पर्वतगौड़ा ने 23 अप्रैल को अबरार अहमद से रिश्वत की राशि का यथाशीघ्र भुगतान करने को कहा क्योंकि वह गर्मी की छुट्टियों में यूरोप जाने वाले थे.
सीबीआई ने कैसे किया मामले का खुलासा
इस मामले में सफलता तब मिली, जब गिरफ्तार किए गए दो डॉक्टरों में से एक डॉ. पर्वतगौड़ा ने कथित तौर पर आकर्षण गुलाटी नाम के एक व्यक्ति से संपर्क किया, जो गुड़गांव स्थित बायोट्रॉनिक्स के लिए काम करता था. सीबीआई को पता चला कि डॉक्टर ने गुलाटी को निर्देश दिया कि वह बायोट्रॉनिक्स के लिए किए गए उनके एहसान के बदले रिश्वत पहुंचा दें. जिस पर उसने डॉक्टर को आश्वासन दिया कि वह मोनिका नामक एक कर्मचारी के जरिए रिश्वत पहुंचा देगा.
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है, "पर्वतगौड़ा ने मोनिका से डील के अनुसार संपर्क किया और यूपीआई के जरिए 36,000 रुपये और बाकी कैश मांगा." वहीं पर्वतगौड़ा ने मेसर्स साइनमेड प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अबरार अहमद से कथित तौर पर रिश्वत मांगी थी. इस एफआईआर में ये भी बताया कि ये रिश्वत उनके द्वारा आपूर्ति किए गए मेडिकल उपकरणों के प्रचार के लिए थी.
अहमद ने रिश्वत की राशि डॉ. पर्वतगौड़ा द्वारा बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर की. सीबीआई ने इस लेन-देन को जांचा और पाया कि अहमद ने अपने खाते से 1.95 लाख रुपये डॉक्टर के पिता के नाम से बनाए गए खाते में ट्रांसफर किए थे. इसके बाद अहमद को पर्वतगौड़ा को यह आश्वासन दिया कि वह जल्द से जल्द मांगी गई रिश्वत पहुंचा देगा. जांच में ये भी पता चला है कि दिल्ली की एक कंपनी भारती मेडिकल टेक्नोलॉजी ने आरएमएल अस्पताल को चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए विभिन्न मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति की.
फर्म के प्रतिनिधि भरत सिंह दलाल, अस्पताल में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर, दूसरे गिरफ्तार डॉक्टर अजय राज के संपर्क में थे. इसी एफआईआर में ये भी जिक्र है, "डॉ अजय राज ने दलाल से उनके द्वारा आपूर्ति किए गए मेडिकल उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत मांगी. अजय राज ने दलाल को बैंक खाते की डिटेल्स भेजी. अजय राज ने उसी खाते में दलाल से 35,000 रुपये मांगे और यह ट्रांसफर कर दिए गए."
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