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This Article is From Jun 25, 2014

गोपाल सुब्रमण्यम शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की नियुक्ति की दौड़ से हटे, सरकार पर बोला हमला

गोपाल सुब्रमण्यम शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की नियुक्ति की दौड़ से हटे, सरकार पर बोला हमला
गोपाल सुब्रमण्यम का फाइल फोटो
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति की दौड़ से हटने के बाद प्रमुख वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि उनकी नियुक्ति को निष्फल बनाने के लिए सरकार ने उनके खिलाफ 'गंदगी' खोजने का सीबीआई को आदेश दिया।

सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ कांड में उच्चतम न्यायालय की मदद करने वाले सुब्रमण्यम ने कहा कि उनकी स्वतंत्रता और ईमानदारी की वजह से ही उन्हें 'निशाना बनाया गया।' इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी सहायोगी अमित शाह अब अभियुक्त हैं।

सुब्रमण्यम ने कहा कि सोहराबुद्दीन प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के न्याय मित्र के रूप में उनकी भूमिका ही उनकी पदोन्नति के लिए सरकार के विरोध का कारण रहा होगा, हालांकि इस बारे में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है।

पूर्व सॉलिसीटर जनरल सुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा को नौ पेज का पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए दी गई सहमति वापस ली है। उन्होंने लिखा है कि वह नहीं चाहते कि उनकी पदोन्नति किसी राजनीति का मसला बने।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायाधीशों की समिति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय और उड़ीसा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा और आदर्श कुमार गोयल तथा वरिष्ठ अधिवक्ता रोहिन्टन नरिमन के साथ सुब्रमण्यम को भी उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी।

हालिया खबरों में सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के प्रति राजग सरकार की अनिच्छा के संकेत मिले थे जबकि इनमें कहा गया था कि सरकार ने तीन अन्य नामों को अपनी मंजूरी दे दी है। कहते हैं कि सीबीआई और गुप्तचर ब्यूरो ने सुब्रमण्यम के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट दी थी।

सुब्रमण्यम के अनुसार उन्हें प्रधान न्यायाधीश ने 15 मई को सूचित किया था कि गुप्तचर ब्यूरो और सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। लेकिन पिछले दो सप्ताह में मीडिया की खबरों में इन दो एजेन्सियों द्वारा उनके बारे में कथित प्रतिकूल रिपोर्ट दिए जाने की चर्चा है।

प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ सप्ताहों की घटनाओं ने न्यायिक संस्थान की स्वतंत्रता, निष्ठा और गरिमा का सम्मान और सराहना करने के प्रति कार्यपालिका सरकार की दक्षता को लेकर उनके मन में गंभीर संदेह पैदा किए हैं। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है, ''मैं इस रवैए में समय के साथ सुधार की अपेक्षा नहीं करता हूं।''

उन्होंने कहा कि एक बार के अलावा, जब वह सॉलिसीटर जनरल थे और मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उनकी मोदी से कभी मुलाकात नहीं हुई। मोदी ने उन्हें और उनकी पत्नी को अपने सम्मानित अतिथि के रूप में गुजरात आमंत्रित किया था। हालांकि उन्होंने उनका आतिथ्य प्राप्त नहीं किया था। मोदी ने 'मर्यादित तरीके से उनका सम्मान किया था।'

सुब्रमण्यम ने लिखा है कि वह अमित शाह से कभी नहीं मिले और उन्होंने हाल में समाचार पत्रों में सिर्फ उनकी तस्वीरें ही देखीं थीं। पत्र के अनुसार शाह की जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा था कि उनकी आजादी में बाधा नहीं डाली जानी चाहिए और उन्हें जमानत दी जा सकती है, लेकिन उन्हें गुजरात से बाहर रहने का निर्देश दिया जाए।

न्यामयूर्ति लोढ़ा को लिखे पत्र में सुब्रमण्यम ने कहा है कि यह सिर्फ यही इंगित करता है कि अमित शाह के प्रति मेरे मन में कोई व्यक्तिगत प्रतिशोध या किसी प्रकार का वैमनस्य का भाव नहीं था।
 

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