- CAT की हैदराबाद बेंच ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डीजी की नियुक्ति को मनमानी करार दिया
- जयतीर्थ आर. जोशी को डीजी और सीईओ नियुक्त करने का आदेश रद्द करते हुए कैट ने पद से हटाने का निर्देश दिया
- चयन प्रक्रिया में 3 उम्मीदवारों को समान अंक दिए गए पर जूनियर अधिकारी चुनने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया था
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की हैदराबाद बेंच की तरफ से ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर जनरल (डीजी) की नियुक्ति को लेकर डीआरडीओ को बड़ा झटका लगा है. ट्रिब्यूनल ने 25 नवंबर 2024 को जारी उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस एयरोस्पेस का डीजी और सीईओ नियुक्त किया गया था. कैट ने साफ कहा कि यह नियुक्ति मनमानी थी और कानून के हिसाब से नहीं की गई.
कैट ने अपने आदेश में क्या कहा
कैट ने अपने आदेश में कहा कि सीईओ की चयन प्रक्रिया में शामिल तीनों उम्मीदवारों को समान रूप से 80-80 अंक दिए गए थे. ऐसे में सबसे जूनियर अधिकारी को चुनने की ठोस वजह लिखित रूप में दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. यह संविधान के अनुच्छेद 14, यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन भी है. ट्रिब्यूनल ने जयतीर्थ आर. जोशी को पद से हटाने का निर्देश दिया है.
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नए सिरे से विचार करने की सलाह
इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय से कहा है कि सीनियर साइंटिस्ट एस. नांबी नायडू के नाम पर नए सिरे से विचार किया जाए. नायडू ने कैट में याचिका दाखिल कर दावा किया था कि वह तीनों उम्मीदवारों में सबसे वरिष्ठ और अनुभवी थे, जबकि जोशी सबसे जूनियर थे. कैट ने यह भी पाया कि सिलेक्शन पैनल में उम्मीदवारों के नाम अल्फाबेटिकल ऑर्डर में रखे गए, जबकि ऐसा करने का कोई नियम या मानक प्रक्रिया मौजूद नहीं है. ट्रिब्यूनल ने इसे पारदर्शिता के खिलाफ बताया.
जूनियर साइंटिस्ट के सेलेक्शन की ठोस वजह नहीं
अदालत ने कहा कि “डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट” का दर्जा आसानी से नहीं मिलता. यह लंबे अनुभव, वैज्ञानिक योगदान और कड़ी समीक्षा के बाद दिया जाता है. डीआरडीओ में डीजी जैसे शीर्ष पद आमतौर पर डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट को ही दिए जाते हैं. इसके बावजूद इस मामले में एक जूनियर साइंटिस्ट को चुना गया, जिसके पीछे कोई ठोस वजह नहीं बताई गई. कैट ने स्पष्ट किया कि डीआरडीओ चेयरमैन का विवेकाधिकार असीमित नहीं है और हर फैसला कारणों के साथ रिकॉर्ड पर होना चाहिए.
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राष्ट्रीय सुरक्षा के अहम पद से जुड़ा मामला
ट्रिब्यूनल ने डीआरडीओ को चार सप्ताह के भीतर नए सिरे से फैसला लेने का निर्देश दिया है. साथ ही, तब तक चयनित अधिकारी को अंतरिम प्रभार देने पर भी रोक लगा दी गई है. यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक अहम पद से जुड़ा है, इसलिए अदालत ने योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता को सबसे महत्वपूर्ण बताया है. पूरे मामले में जब एनडीटीवी ने रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और ब्रह्मोस से उनका पक्ष जानना चाहा तो खबर लिखे जाने तक किसी ने कोई जवाब नहीं दिया.
इन सबके बावजूद ऑपरेशन सिंदूर में अपने पराक्रम से पाकिस्तान को घुटने पर लाने वाले ब्रह्मोस एयरोस्पेस में यह एक दुर्लभ घटना है, जिससे इसकी साख को धक्का लगा है.
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