
जज के घर से कैश मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने इस मामले को लेकर FIR दर्ज किए जाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि हमने अपनी जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और पीएम को भेज दी है. ऐसे में अब उन्हें राष्ट्रपति और पीएम के पास ही जाना चाहिए. आपको बता दें कि एडवोकेट नेदुम्परा ने इस मामले में FIR दर्ज किए जाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप प्रक्रिया का पालन करें. CJI ने इन हाउस प्रक्रिया का पालन किया है. इसपर वकील मैथ्यू नेदुम्परा ने कहा यह घटना एक संज्ञेय अपराध है.पुलिस का कर्तव्य है कि वह एफआईआर दर्ज करे. यह अनुच्छेद 14 का घोर उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट का भी कर्तव्य है कि वह रिपोर्ट को सार्वजनिक करे. मैं यह घोषणा चाहता हूं कि वीरस्वामी गलत हैं. यह पुलिस को अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकता है. जस्टिस ओक ने कहा कि हमने आपकी प्रार्थनाएं पहले ही देख ली हैं.

आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी मामले में FIR दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई थी. CJI बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता मैथ्यूज नेदुम्परा की दलीलों पर गौर किया और कहा था कि अगर खामियों को दूर कर दिया जाता है, तो इसे मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है.
CJI ने कहा था कि अगर (याचिका में) खामियों को दूर कर दिया जाता है तो इसे कल सूचीबद्ध किया जा सकता है.नेदुम्परा ने कहा था कि अगर याचिका में कोई खामी है तो वह उसे दूर करेंगे. उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इसे बुधवार को सूचीबद्ध किया जाए क्योंकि वह मंगलवार को उपलब्ध नहीं हैं. पीठ ने खामियों को दूर करने की शर्त पर इसे बुधवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई.
आंतरिक जांच आयोग द्वारा न्यायाधीश को दोषी ठहराए जाने के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था. न्यायमूर्ति वर्मा के इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था.नेदुम्परा और तीन अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए कहा गया था कि आंतरिक समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है.
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