चंडीगढ़:
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हरियाणा में हुए 58 करोड़ रुपये के ज़मीन के जिस सौदे को इसी हफ्ते रद्द किया गया था, उसकी जड़ में मौजूद कमर्शियल लाइसेंस अब भी रॉबर्ट वाड्रा के नाम ही है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह दावा करते हुए कहा कि सब कुछ नियमों के मुताबिक ही किया गया है।
हरियाणा के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रमुख टीसी गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि कमर्शियल हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने का लाइसेंस अब भी रॉबर्ट वाड्रा के नाम ही है, हालांकि जमीन पिछले महीने डीएलएफ को ट्रांसफर कर दी गई थी, लेकिन पिछले हफ्ते लैण्ड रिकॉर्ड्स विभाग प्रमुख डॉ अशोक खेमका ने इस सौदे को रद्द कर दिया था।
गुप्ता के अनुसार, चूंकि अभी कागजी कार्यवाही और अन्य औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई हैं, इसलिए लाइसेंस अभी डीएलएफ को ट्रांसफर नहीं किया गया है। उन्होंने इन आरोपों को नकार दिया कि लाइसेंसिंग से जुड़े दिशा-निर्देशों और नियमों को रॉबर्ट वाड्रा को लाभ पहुंचाने की खातिर तोड़ा-मरोड़ा गया।
उल्लेखनीय है कि 15 अक्टूबर को वरिष्ठ नौकरशाह डॉ अशोक खेमका ने महानिदेशक के रूप में लैण्ड रिकॉर्ड्स विभाग के कार्यालय में बिताए आखिरी दिन इस सौदे को रद्द कर दिया था। सरकार का कहना है कि खेमका का इस सौदे को रद्द करने का फैसला गलत था। इसके जवाब में खेमका ने गुरुवार को दावा किया कि यदि वे (राज्य सरकार) ऐसा समझते हैं, तो उन्हें इसके खिलाफ अदालत में जाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया है कि डीएलएफ को जमीन ट्रांसफर किए जाने के आदेश पर ऐसे अधिकारियों ने दस्तखत किए हैं, जिन्हें उस काम का अधिकार ही नहीं था। उन्होंने इस बात पर भी सवाल खड़े किए हैं, कि क्यों ऐसा लग रहा है कि सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा को लाभ पहुंचाने की खातिर नियमों में बदलाव किए, कागजी कार्यवाही को अविश्वसनीय और बेहद तेज़ गति से निपटाया गया, और उन्हें (रॉबर्ट वाड्रा को) उनके साढ़े तीन एकड़ के प्लॉट पर कमर्शियल हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने के लिए लाइसेंस दे दिया गया।
हरियाणा के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रमुख टीसी गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि कमर्शियल हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने का लाइसेंस अब भी रॉबर्ट वाड्रा के नाम ही है, हालांकि जमीन पिछले महीने डीएलएफ को ट्रांसफर कर दी गई थी, लेकिन पिछले हफ्ते लैण्ड रिकॉर्ड्स विभाग प्रमुख डॉ अशोक खेमका ने इस सौदे को रद्द कर दिया था।
गुप्ता के अनुसार, चूंकि अभी कागजी कार्यवाही और अन्य औपचारिकताएं पूरी नहीं हुई हैं, इसलिए लाइसेंस अभी डीएलएफ को ट्रांसफर नहीं किया गया है। उन्होंने इन आरोपों को नकार दिया कि लाइसेंसिंग से जुड़े दिशा-निर्देशों और नियमों को रॉबर्ट वाड्रा को लाभ पहुंचाने की खातिर तोड़ा-मरोड़ा गया।
उल्लेखनीय है कि 15 अक्टूबर को वरिष्ठ नौकरशाह डॉ अशोक खेमका ने महानिदेशक के रूप में लैण्ड रिकॉर्ड्स विभाग के कार्यालय में बिताए आखिरी दिन इस सौदे को रद्द कर दिया था। सरकार का कहना है कि खेमका का इस सौदे को रद्द करने का फैसला गलत था। इसके जवाब में खेमका ने गुरुवार को दावा किया कि यदि वे (राज्य सरकार) ऐसा समझते हैं, तो उन्हें इसके खिलाफ अदालत में जाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया है कि डीएलएफ को जमीन ट्रांसफर किए जाने के आदेश पर ऐसे अधिकारियों ने दस्तखत किए हैं, जिन्हें उस काम का अधिकार ही नहीं था। उन्होंने इस बात पर भी सवाल खड़े किए हैं, कि क्यों ऐसा लग रहा है कि सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा को लाभ पहुंचाने की खातिर नियमों में बदलाव किए, कागजी कार्यवाही को अविश्वसनीय और बेहद तेज़ गति से निपटाया गया, और उन्हें (रॉबर्ट वाड्रा को) उनके साढ़े तीन एकड़ के प्लॉट पर कमर्शियल हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने के लिए लाइसेंस दे दिया गया।
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