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This Article is From Aug 09, 2011

'ईमानदारी-जवाबदेही की धज्जियां उड़ी 'आदर्श' में'

मुंबई: 2जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले को उजागर करने के बाद अब भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने मुंबई की विवादास्पद आदर्श हाउसिंग सोसायटी को कर्तव्य में लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण बताया है। कैग ने कहा है कि इसमें ईमानदारी तथा जवाबदेही की घोर उपेक्षा हुई है। आदर्श को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी पर कैग की आज संसद में पेश की गई रपट में विभिन्न स्तरों पर हुई लापरवाही, गड़बड़ी और यहां तक कि धमकानेवाली कारवाई का भी उल्लेख किया गया है। रक्षा विभाग संबंधी मामलों पर यह रिपोर्ट कहती है कि यदि इस मामले में आगे सुधारात्मक और दंडात्मक कारवाई नहीं की गई तो गलत काम करने वालों को बड़ा सहारा मिलेगा और इससे सरकार की साख बुरी तरह प्रभावित होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार के पर्यावरण विभाग, महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सहित विभिन्न एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद मुंबई में मंत्रालय से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बिना आवश्यक मंजूरियों के 100 मीटर उंची इमारत खड़ी हो जाती है और उसे स्थानीय निकायों से कब्जा प्रमाणपत्र भी मिल जाता है। रिपोर्ट में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को जवाबदेही निभाने में असफल बताया गया है। इसमें कहा गया है कि तटीय नियमन क्षेत्र अधिसूचना के प्रावधानों के तहत वह राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट नहीं कर सका। उसने जो संदेश भेजा उसमें महाराष्ट्र सरकार को परियोजना को जारी रखने और अनापत्ति देने में कोई परेशानी नहीं हुई। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, आदर्श सोसायटी की सदस्यता को विस्तार देना जारी रखा गया। इस तरह कनिष्ठ सैन्य तथा असैन्य अधिकारी सोसायटी से बाहर हो गये और कई वरिष्ठ रक्षा अधिकारी तथा नौकरशाह इसके सदस्य बन गये। रिपोर्ट के मुताबिक, बाद की तारीखों में सोसायटी के सदस्य बने प्रमुख सैन्य अधिकारियों में दो पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल एन सी विज और दीपक कपूर शामिल हैं। कैग के अनुसार, लिहाजा, सैनिकों तथा भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के नाम पर सशस्त्र बलों और असैन्य प्रशासन, नेताओं तथा उनसे जुड़े लोगों के एक विशिष्ट चयनित वर्ग को लोक संपत्ति के गलत विनियोजन से लाभ मिला। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2000 में सोसायटी के सदस्यों की संख्या 40 थी जो वर्ष 2010 में बढ़कर 102 हो गयी। जो अफसर सदस्य के रूप में शामिल किये गये उनमें एडमिरल माधवेंद्र सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल जी एस सिहोता और रियर एडमिरल आर पी सूतन प्रमुख हैं। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार और पर्यावरण तथा वन मंत्रालय की भूमिका के बारे में कैग ने कहा कि उन्होंने नियमों में ढील देकर और मुंबई के मध्य में स्थित राज्य सरकार के परिसर मंत्रालय से नजदीक 31 मंजिला इमारत के निर्माण के प्रति आंखें मूंद लीं। कैग के अनुसार, पर्यावरण मंत्रालय तटीय नियम क्षेत्र अधिसूचना के प्रावधानों के बारे में राज्य सरकार को अवगत कराने में या तो निश्चित तौर पर विफल रहा या फिर उसने जानबूझकर राज्य सरकार को इस बारे में सूचित नहीं करने का फैसला किया। रिपोर्ट में कहा गया, राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार की अंदरूनी एजेंसियों को पत्र जारी किये जाने का सिलसिला शुरू हुआ जिनमें रियायतें मांगी गयीं और सदस्य जो सशस्त्र बलों से हैं तथा मातृभूमि की सेवा कर रहे हैं.. अपना जीवन हमने मातृभूमि की रक्षा के लिये समर्पित कर दिया है.. कारगिल ऑपरेशन के नायकों को पुरस्कार, जो कारगिल में बहादुरी से लड़े और अपनी मातृभूमि की रक्षा की जैसे वाक्यों का उदारता से इस्तेमाल किया गया। कैग की रिपोर्ट कहती है, जो जिम्मेदारी वाले पदों पर थे, उन्हें यह एहसास होना चाहिये था कि सोसायटी की परिकल्पना में शुरू से ही खामी थी क्योंकि कुछ ही भूतपूर्व सैनिकों और शहीदों की कुछ ही विधवाओं की आर्थिक स्थिति ऐसी हो सकती थी जो ऐसी मुख्य जगह में अपार्टमेंट खरीद सकें।

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