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This Article is From Jan 15, 2017

सोची-समझी साजिश के तहत लिए गए नोटबंदी के फैसले से जनता अब तक उबर नहीं पाई: मायावती

सोची-समझी साजिश के तहत लिए गए नोटबंदी के फैसले से जनता अब तक उबर नहीं पाई: मायावती
बसपा प्रमुख मायावती ने नोटबंदी को राजनीतिक स्वार्थ में लिया गया फैसला बताया.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बसपा की सरकार बनने का भरोसा व्यक्त करते हुए पार्टी प्रमुख मायावती ने रविवार को कहा कि नोटबंदी का फैसला केंद्र की भाजपा सरकार की सोची समझी साजिश है और राजनीतिक स्वार्थ में लिए गए इस फैसले से देश का आम आदमी अभी तक उबर नहीं पाया है.

मायावती ने यहां अपने 61वें जन्मदिन के मौके पर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा, 'अपनी कमियों और विफलताओं से प्रदेश और देश की जनता का ध्यान बंटाने के लिए सोची समझी साजिश के तहत केंद्र की भाजपा सरकार ने राजनीतिक स्वार्थ में विधानसभा चुनाव घोषित होने से कुछ समय पहले आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला किया'. उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में लिए गए इस फैसले से देश की जनता विशेषकर मध्यम वर्ग अभी उबर नहीं पा रहा है. 50 दिन से ज्यादा बीत गए, लेकिन अभी तक देश में हालात पहले की तरह सामान्य नहीं हुए. नोटबंदी से देश में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

मायावती ने कहा, 'देश भर में ये भी आम चर्चा है कि नोटबंदी का ये फैसला लेने से पहले 10 महीने में भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी और राष्ट्रीय नेताओं और चंद पूंजीपतियों एवं धन्नासेठों के काले धन को पूरे तौर से ठिकाने लगवा दिया था'. उन्होंने कहा कि इस बात में काफी कुछ सच्चाई इसलिए भी नजर आ रही है, क्योंकि गत वर्ष हमारी पार्टी व परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा एक 'रूटीन' में नियमों के तहत बैंक खाते में जमा धन को भी भाजपा व केंद्र की सरकार ने सोची समझी राजनीतिक साजिश के तहत उसे मीडिया में ऐसे उजागर कराया जैसे कि ये हमारा धन काला धन है.

मायावती ने कहा कि भाजपा और पीएम मोदी में थोड़ी सी भी ईमानदारी और सच्चाई है और वे खुद को पूरी तरह बेदाग और दूध के धुले समझते हैं तो नोटबंदी का फैसला लागू करने से पहले के दस महीने और आठ नवंबर के बाद का पार्टी नेताओं और पूंजीपतियों के बैंक खातों का ब्यौरा सार्वजनिक करें. उन्होंने कहा, 'इन खातों में कितना धन जमा हुआ और किन किन कार्यों पर कितना खर्च किया गया है, उसका भी हिसाब किताब देशवासियों के सामने देना चाहिए.. लेकिन वे (भाजपा) ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि इससे उनका असली चेहरा सामने आ जाएगा कि वे कितने बेदाग हैं'.

मायावती ने कहा, 'ऐसी स्थिति में भाजपा एंड कंपनी के लोगों को अपने विरोधियों और उनके रिश्तेदारों के पास खासकर उनके काम को लेकर कुछ भी आरोप लगाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रहा है, लेकिन फिर भी ये लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ में नैतिकता को दरकिनार करते हुए मान मर्यादा की हदों को पार कर रहे हैं'. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव में खासकर बसपा की मजबूती देखकर और उसे सत्ता में आने से रोकने के लिए बसपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने के मकसद से भाजपा आए दिन कभी पार्टी तो कभी परिवार के लोगों पर आरोप लगा रही है.

मायावती ने कहा, 'मेरे परिवार के लोग जो भी छोटा मोटा कारोबार पिछले कई साल से कर रहे हैं और यदि केंद्र सरकार को उनके कारोबार में कुछ गड़बड़ी नजर आ रही थी तो ये लोग अब तक के आधे शासनकाल में क्या कर रहे थे. चुनाव के नजदीक आते ही मेरे परिवार में गड़बड़ी नजर आई अर्थात चुनाव के दौरान पार्टी और परिवार में सभी कमियां नजर आने लगी हैं'. जन्मदिन के मौके पर मायावती ने 'मेरे संघषर्मय जीवन और बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा' पुस्तक का विमोचन भी किया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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