कर्नाटक में BJP नेता बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) को मुख्यमंत्री बनने के लिए अभी लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है, क्योंकि मौजूदा हालात में बीजेपी का केंद्रीय नेतृव उनकी ताजपोशी करके पिछली बार की तरह इस बार भी अपनी किरकिरी नहीं करवाना चाहता. फ़िलहाल कर्नाटक विधानसभा मे बहुमत बीजेपी के साथ है. बहुमत के लिए 103 विधायक चाहिए. 2 निर्दलियों के साथ बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, लेकिन अगर आधे दर्जन विधायक बगावत छोड़कर कांग्रेस के साथ आ खड़े हुए और स्पीकर ने निर्दलीय शंकर के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की तो विधानसभा में तस्वीर बदल जाएगी. इसलिए बीजीपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने 76 साल के कद्दावर लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा फिलहाल चुप हैं.
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मुख्यमंत्री पद के दावेदार येदियुरप्पा ने कहा कि मैं आलाकमान के इंस्ट्रक्शन का इंतज़ार कर रहा हूं. जैसे ही हरी झंडी मिलेगी विधायक दल की बैठक बुलाकर हम राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. दरअसल भारतीय जनता पार्टी (BJP) स्पीकर रमेश कुमार के फैसले का इंतजार कर रही है कि या तो वह बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर करें या फिर उनके खिलाफ दल बदल कानून के तहत करवाई करें, ताकि तस्वीर साफ हो. हालांकि स्पीकर रमेश कुमार ने चुप्पी साधकर येदियुरप्पा की सरकार बनने के रास्ते में रोड़ा अटका दिया है.
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इससे पहले येदियुरप्पा ने मंगलवार रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने लिखा, 'मैं यह बताते हुए काफी खुशी महसूस कर रहा हूं कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की तरफ से पेश विश्वास मत में हमने उन्हें हरा दिया है, जिससे कर्नाटक में हमारी पार्टी की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है.' उन्होंने कहा कि इस वक्त पार्टी के 105 विधायक 'चट्टान' की तरह हमारे साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से विभिन्न राजनीतिक कारणों से हमारे लिए यह परीक्षा की घड़ी थी, लेकिन इन सभी चुनौतियों से पार पाते हुए हमने विश्वास मत में उन्हें पराजित कर दिया.' येदियुरप्पा ने पत्र में आगे लिखा, 'पार्टी के सदस्यों से ज्यादा राज्य के लोगों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि गठबंधन सरकार के खराब प्रशासन से से ऊब चुके थे.'
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उधर, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल नई सरकार बनवा दे तो भी यहां राजनीतिक अस्थिरता बनी रहेगी. ऐसे में अधिकारियों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह जनता की मुश्किलों को आसान करें. विधानसभा चुनावों के बाद पिछले साल येदियुरप्पा ने सरकार बनाई, लेकिन नंबर नहीं होने की वजह विश्वासमत से पहले ही उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था.
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