राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि आतंकवाद निरोध पर भारत और ब्रिटेन को और सहयोग करने की आवश्यकता है, जो दुनिया की शांति के लिए सबसे बड़ी समस्या है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी संवृद्धि और अर्थव्यवस्था में ब्रिटेन को अपने अहम भागीदार के रूप में देखता है.
मे ने मुखर्जी से कल को शाम मुलाकात की थी. राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता की ओर से आज जारी एक वक्तव्य के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत ब्रिटेन की और कंपनियों को मेक इन इंडिया, कौशल भारत, डिजिटल इंडिया आदि अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदार के तौर पर प्रोत्साहित करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ी समस्या है. यह ऐसी समस्या है जो किसी क्षेत्रीय या वैचारिक सरहदों को नहीं जानती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और ब्रिटेन को आतंकवाद निरोध पर और सहयोग करने की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य दृढ़ निश्चय दिखाना चाहिए.’’
राष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच वस्तु और सेवाओं में व्यापारिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए जबर्दस्त गुंजाइश है. भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय कारोबार वस्तुओं के मामले में 2015-16 में 14 अरब डॉलर था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मे ने मुखर्जी से कल को शाम मुलाकात की थी. राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता की ओर से आज जारी एक वक्तव्य के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत ब्रिटेन की और कंपनियों को मेक इन इंडिया, कौशल भारत, डिजिटल इंडिया आदि अपने राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदार के तौर पर प्रोत्साहित करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ी समस्या है. यह ऐसी समस्या है जो किसी क्षेत्रीय या वैचारिक सरहदों को नहीं जानती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और ब्रिटेन को आतंकवाद निरोध पर और सहयोग करने की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अवश्य दृढ़ निश्चय दिखाना चाहिए.’’
राष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के बीच वस्तु और सेवाओं में व्यापारिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए जबर्दस्त गुंजाइश है. भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय कारोबार वस्तुओं के मामले में 2015-16 में 14 अरब डॉलर था.
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