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This Article is From Nov 17, 2022

"पुल को खोला ही नहीं जाना चाहिए था..." : मोरबी हादसे को लेकर नगरपालिका ने HC में गलती मानी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मोरबी नगरपालिका के प्रमुख को बुलाओ, सीधे उनसे सुनना चाहते हैं. संदीप सिंह जाला को 24 नवंबर को अदालत में पेश होने का नोटिस दिया गया है."

30 अक्टूबर को मोरबी में पुल गिरने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

गुजरात उच्च न्यायालय में दिए हलफनामे में मोरबी नगरपालिका ने पुल के ढहने की पूरी जिम्मेदारी ली है. मोरबी नगरपालिका ने माना कि पुल को खोला नहीं जाना चाहिए था. गुजरात उच्च न्यायालय ने नगरपालिका के प्रमुख को सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर को उच्च न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मोरबी नगरपालिका के प्रमुख को बुलाओ, सीधे उनसे सुनना चाहते हैं. संदीप सिंह जाला को 24 नवंबर को अदालत में पेश होने का नोटिस दिया गया है."

30 अक्टूबर को मोरबी में पुल गिरने से 140 से अधिक लोगों की मौत के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने कल दो नोटिसों के बावजूद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर मोरबी नगरपालिका को चेतावनी दी थी. अदालत ने कहा था, "कल आप स्मार्ट तरीके से काम कर रहे थे, अब आप मामले को हल्के में ले रहे हैं. इसलिए, या तो आज शाम तक अपना जवाब दाखिल करें, या 1 लाख रुपये का जुर्माना अदा करें."

आपको बता दें कि अदालत ने खुद इस हादसे पर ध्यान दिया था और कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं. मंगलवार को अदालत ने 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए जिस तरीके से ठेका दिया गया, उस पर सीधा जवाब मांगा था. गुजरात उच्च न्यायालय ने पुल के मरम्मत का ठेका देने के तरीके की आलोचना भी की थी.

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