प्रतीकात्मक तस्वीर...
कोयंबतूर:
ब्रेन डेड घोषित किए गए 36 वर्षीय एक बस ड्राइवर की वजह से सात लोगों को नई जिंदगी मिली। उनके परिवार ने महत्वपूर्ण अंगों को दान करने पर रजामंदी जाहिर की थी।
कोवाई मेडिकल सेंटर और अस्पताल (केएमसीएच) की एक विज्ञप्ति में बताया गया कि घटना के संबंध में परामर्श के बाद परिवार ने अंग दान का फैसला किया, जिसके बाद कोयंबतूर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और केएमसीएच ने नटराजन के हृदय, लीवर, किडनी, आंखें और स्किन को सुरक्षित निकाला।
लीवर और किडनी को केएमसीएच में मरीजों को प्रतिरोपित किया गया, जबकि हृदय को चेन्नई के एक निजी अस्पताल को भेज दिया गया। स्किन और आंखों को भी निजी अस्पताल भेज दिया गया।
इरोड जिले के कुमालनकुट्टई गांव के रहने वाले नटराजन निजी बस ड्राइवर के तौर पर काम करते थे। वह 20 जून को अचानक बेहोश हो गए। उन्हें उच्च रक्तचाप के कारण ग्रेड चार मस्तिष्काघात हुआ था।
विज्ञप्ति में बताया गया कि उपचार का असर नहीं हुआ और 27 जून को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कोवाई मेडिकल सेंटर और अस्पताल (केएमसीएच) की एक विज्ञप्ति में बताया गया कि घटना के संबंध में परामर्श के बाद परिवार ने अंग दान का फैसला किया, जिसके बाद कोयंबतूर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और केएमसीएच ने नटराजन के हृदय, लीवर, किडनी, आंखें और स्किन को सुरक्षित निकाला।
लीवर और किडनी को केएमसीएच में मरीजों को प्रतिरोपित किया गया, जबकि हृदय को चेन्नई के एक निजी अस्पताल को भेज दिया गया। स्किन और आंखों को भी निजी अस्पताल भेज दिया गया।
इरोड जिले के कुमालनकुट्टई गांव के रहने वाले नटराजन निजी बस ड्राइवर के तौर पर काम करते थे। वह 20 जून को अचानक बेहोश हो गए। उन्हें उच्च रक्तचाप के कारण ग्रेड चार मस्तिष्काघात हुआ था।
विज्ञप्ति में बताया गया कि उपचार का असर नहीं हुआ और 27 जून को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया।
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