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भारत के 5 शहरों के कारोबारियों ने लिया बड़ा फैसला, तुर्किये को होगा 2500 करोड़ का नुकसान

ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी हमले के बाद अब तुर्किये को लेकर भी विरोध बढ़ता जा रहा है. जेएनयू, जामिया सहित देश की कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने तुर्किये के साथ हुए करार को रद्द कर दिया है.

भारत के 5 शहरों के कारोबारियों ने लिया बड़ा फैसला, तुर्किये को होगा 2500 करोड़ का नुकसान
तुर्किये (Turkish) के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन (फाइल फोटो).

Boycott Turkiye: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जो कुछ हुआ, उसे पूरी दुनिया ने देखा. भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष और सीमा पर तनाव का दौर तो अब थम चुका है, लेकिन अब यह हिसाब लगाया जा रहा है कि इस विपरित समय में भारत के दुश्मन देश का साथ किस-किस देश ने दिया. भारत के खिलाफ हमले में पाकिस्तान का साथ देने वाले देशों की लिस्ट में चीन और तुर्किये का नाम सबसे ऊपर आता है. चीन शुरू से पाकिस्तान के करीब रहा है. तुर्किये पहली बार भारत की नजर में खटका है. अब पाकिस्तान के मददगार तुर्किये को लेकर भारत में माहौल बनने लगा है.  

भारत में बढ़ता जा रहा तुर्किये का विरोध

ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकी हमले के बाद अब तुर्किये को लेकर भी विरोध बढ़ता जा रहा है. जेएनयू, जामिया सहित देश की कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने तुर्किये के साथ हुए करार को रद्द कर दिया है. अब भारत के पांच शहरों के कारोबारियों ने मिलकर एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे तुर्किये को दो हजार से 2500 करोड़ रुपए तक नुकसान होगा.  

'दुश्मन देश का समर्थन करने वालों से कारोबार नहीं'

दरअसल दिल्ली के मार्बल व्यापारियों ने तुर्किये से मार्बल के आयात का पूर्ण रूप से बहिष्कार करने का ऐलान किया है. दिल्ली मार्बल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण कुमार गोयल का कहना है कि जो देश भारत के दुश्मनों का समर्थन करेगा, भारत का व्यापारी समाज उसका आर्थिक साथ नहीं देगा.

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दिल्ली समेत देश के 5 बड़े शहरों का फैसला

दिल्ली, किशनगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और सिलवासा ये पांच शहर तुर्किये से मार्बल आयात करने वाले प्रमुख केंद्र हैं. इन शहरों के व्यापारियों ने मिलकर तुर्किये से मार्बल न मंगवाने का निर्णय लिया है. यह फैसला भारत की मार्बल इंडस्ट्री के लिए बड़ा मोड़ साबित हो सकता है.

भारत में मार्बल आयात की स्थिति

भारत हर साल करीब 14 लाख मीट्रिक टन मार्बल आयात करता है. इसमें से 10 लाख मीट्रिक टन यानी लगभग 70% मार्बल अकेले तुर्किये से आता है. सालाना लगभग 2,000 से 2,500 करोड़ रुपए का व्यापार तुर्किये से होता है. लेकिन अब यह आंकड़ा शून्य की ओर बढ़ सकता है क्योंकि व्यापारियों ने तुर्किये से कोई भी नया ऑर्डर न देने की बात कही है.

वैकल्पिक देशों से आयात की तैयारी

दिल्ली मार्बल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण कुमार गोयल ने बताया कि तुर्किये के विकल्प के रूप में कई देश मौजूद हैं जहाँ से अच्छी गुणवत्ता का मार्बल लाया जा सकता है. इनमें शामिल हैं. जिनमें से इटली, वियतनाम, स्पेन, क्रोशिया, नामीबिया, ग्रीस हैं. इन देशों से पहले भी भारत को मार्बल आयात होता रहा है लेकिन पिछले 7-8 वर्षों में तुर्किये का आयात तेजी से बढ़ा था.

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