अरुणांचल प्रदेश के बोमडिला थाने में अफसरों को धमकाते हुए कैमरे में कैद हुए सेना के मेजर फिरदौस
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में हुई एक घटना ने सेना ( Army) और स्थानीय प्रशासन के बीच टकराव की नौबत ला दी है. इस घटना ने आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन (IAS Association) को एकजुट कर दिया है. दोनों संगठनों ओर से रक्षा सचिव को पत्र लिखे जाने के बाद इस घटना ने तूल पकड़ लिया है. मामला जवानों की गिरफ्तारी के बाद सेना के कर्नल एफबी फिरदौज (Col FB Firdauz) की ओर से प्रशासनिक और पुलिस अफसरों को धमकाने का है. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है. आरोप है कि सेना के कर्नल फिरदौज ने पश्चिम कामेंग जिले की जिला मजिस्ट्रेट(डीएम) सोनल स्वरूप (IAS Sonal Swaroop) और एसपी सहित बोमडिला थाने (Bomdila police station) के पुलिस अधिकारियों को धमकी दी. उनके कहने पर जवानों ने थाने में तोड़फोड़ भी की. आईपीएस और आईएएस एसोसिएशन ने एक वीडियो भी ट्वीट किया है, जिसमें दिख रहे कर्नल यह कहते हुए सुनाई दे रहे- यह मेरी तुम्हें डायरेक्ट धमकी है, अगर मेरे लड़कों को फिर टच किया तो फिर देख लेना.... इस घटना के बाद आइपीएस एसोसिएशन ने #ArmyNotAboveLaw हैशटैग के साथ किए ट्वीट में सेना को भी टैग करते हुए कार्रवाई की मांग की है. इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज़ (सेन्ट्रल) एसोसिएशन (IC & AS Association) के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव ने रक्षा सचिव संजय मित्रा को लिखे पत्र में कहा है कि भारतीय सेना अपनी बहादुरी और स्त्री-पुरुष के प्रति सम्मान और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जानी जाती है. हमें अपनी सेना पर गर्व है. मगर यह मामला निंदनीय है और कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने सेना से यह सुनिश्चित करने की मांग किया कि कथित दोषियों को सजा दी जाए ताकि ‘‘ऐसी घटनाएं सशस्त्र बलों की शानदार विरासत में अपवाद रहें.''
क्या है पूरा मामला
दरअसल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में सेना की एक बटालियन तैनात है. जिसका नाम है अरुणाचल स्काउट्स. घटना दो नवंबर की है. जब बोमडिला में बुद्ध महोत्सव चल रहा था. इस दौरान इस बटालियन के दो जवानों को पुलिस थाने उठा ले आई. आरोप था कि महोत्सव स्थल पर सेना के जवानों के एक गुट ने हंगामा और मारपीट की. नागरिकों की शिकायत पर पुलिस उन्हें थाने ले गई. इसकी खबर जब बटालियन का नेतृत्व कर रहे कर्नल फिरदौस पी को हुई तो वह मेजर कौशिक रॉय के साथ थाने पहुंचे. उन्होंने पुलिसकर्मियों को धमकाना शुरू किया. आईएएस एसोसिएशन के मुताबिक कर्नल ने जिले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कम डिप्टी कमिश्नर सोनल स्वरूप और एसपी से भी दुर्व्यवहार किया. जब डीएम ने उन्हें जाने को कहा तो अभद्रता की. अफसरों से हाथापाई की घटना भी हुई. इस दौरान थाने में कर्नल पुलिस अफसरों को धमकाते हुए कैमरे में कैद हुए, जिसमें वह दोबारा लड़कों(जवानों) को पकड़ने पर अंजाम भुगत लेने की धमकी दे रहे हैं. आरोप है कि कर्नल और मेजर के थाने से जाने के बाद सौ से ज्यादा की संख्या में अरुणांचल स्काउट्स बटालियन के जवान पहुंचे और उन्होंने थाने में तोड़फोड़ की.
देखें वीडियो-
जवानों के उत्पीड़न का आरोप
अरुणाचल प्रदेश की पश्चिम कामेंग पुलिस जहां गिरफ्तार हुए सेना के दोनों जवानों पर महोत्सव स्थल पर पब्लिक से अभद्रता का आरोप लगा रही है, वहीं सैन्य कर्मियों का आरोप है कि झूठी शिकायत पर थाने में ले जाकर जवानों की खूब पिटाई की गई. जिसका विरोध किया गया. जब थाने पर काफी संख्या में जवान जुटे तो सीआरपीएफ को बुलानी पड़ी. तब जाकर मामला काबू में हुआ. आरोप है कि जवानों ने थाने में खड़े पांच वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा हथियार एवं गोला बारुद छीन लिए. आइएएस एसोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है कि जिले में शांति-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी जिला और पुलिस प्रशासन की होती है. ऐसे में सेना के अफसरों और कर्मियों ने जिस तरीके से कानून में हाथ लिया, वह गलत है. इस गंभीर मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. आईपीएस एसोसिएशन की ओर से कर्नल का वीडियो ट्वीट करने में जहां तमाम सोशल मीडिया यूजर्स घटना की निंदा कर रहे हैं, वहीं तमाम यूजर्स सेना का समर्थन करते हुए पुलिस को नसीहत दे रहे हैं. कह रहे हैं कि पुलिस का रवैया किसी से छुपा नहीं है. सूत्र बता रहे हैं कि गृहराज्य मंत्री किरेन रिजीजू के गृहक्षेत्र का मामला होने के कारण वह खुद सेना और स्थानीय प्रशासन के बीच इस टकराव पर नजर बनाए हुए हैं.
क्या है पूरा मामला
दरअसल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में सेना की एक बटालियन तैनात है. जिसका नाम है अरुणाचल स्काउट्स. घटना दो नवंबर की है. जब बोमडिला में बुद्ध महोत्सव चल रहा था. इस दौरान इस बटालियन के दो जवानों को पुलिस थाने उठा ले आई. आरोप था कि महोत्सव स्थल पर सेना के जवानों के एक गुट ने हंगामा और मारपीट की. नागरिकों की शिकायत पर पुलिस उन्हें थाने ले गई. इसकी खबर जब बटालियन का नेतृत्व कर रहे कर्नल फिरदौस पी को हुई तो वह मेजर कौशिक रॉय के साथ थाने पहुंचे. उन्होंने पुलिसकर्मियों को धमकाना शुरू किया. आईएएस एसोसिएशन के मुताबिक कर्नल ने जिले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कम डिप्टी कमिश्नर सोनल स्वरूप और एसपी से भी दुर्व्यवहार किया. जब डीएम ने उन्हें जाने को कहा तो अभद्रता की. अफसरों से हाथापाई की घटना भी हुई. इस दौरान थाने में कर्नल पुलिस अफसरों को धमकाते हुए कैमरे में कैद हुए, जिसमें वह दोबारा लड़कों(जवानों) को पकड़ने पर अंजाम भुगत लेने की धमकी दे रहे हैं. आरोप है कि कर्नल और मेजर के थाने से जाने के बाद सौ से ज्यादा की संख्या में अरुणांचल स्काउट्स बटालियन के जवान पहुंचे और उन्होंने थाने में तोड़फोड़ की.
देखें वीडियो-
An @adgpi CO openly threatening civil authorities in #Bomdila deserves condemnation. Unlike him, Civil Authorities acted with maturity and lived up to the Sardar's advice, "A policeman who loses his cool ceases to be a police officer".#DemandCorrectiveAction #ArmyNotAboveLaw pic.twitter.com/f5PcxnUI6v
— IPS Association (@IPS_Association) November 8, 2018
जवानों के उत्पीड़न का आरोप
अरुणाचल प्रदेश की पश्चिम कामेंग पुलिस जहां गिरफ्तार हुए सेना के दोनों जवानों पर महोत्सव स्थल पर पब्लिक से अभद्रता का आरोप लगा रही है, वहीं सैन्य कर्मियों का आरोप है कि झूठी शिकायत पर थाने में ले जाकर जवानों की खूब पिटाई की गई. जिसका विरोध किया गया. जब थाने पर काफी संख्या में जवान जुटे तो सीआरपीएफ को बुलानी पड़ी. तब जाकर मामला काबू में हुआ. आरोप है कि जवानों ने थाने में खड़े पांच वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया तथा हथियार एवं गोला बारुद छीन लिए. आइएएस एसोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है कि जिले में शांति-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी जिला और पुलिस प्रशासन की होती है. ऐसे में सेना के अफसरों और कर्मियों ने जिस तरीके से कानून में हाथ लिया, वह गलत है. इस गंभीर मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. आईपीएस एसोसिएशन की ओर से कर्नल का वीडियो ट्वीट करने में जहां तमाम सोशल मीडिया यूजर्स घटना की निंदा कर रहे हैं, वहीं तमाम यूजर्स सेना का समर्थन करते हुए पुलिस को नसीहत दे रहे हैं. कह रहे हैं कि पुलिस का रवैया किसी से छुपा नहीं है. सूत्र बता रहे हैं कि गृहराज्य मंत्री किरेन रिजीजू के गृहक्षेत्र का मामला होने के कारण वह खुद सेना और स्थानीय प्रशासन के बीच इस टकराव पर नजर बनाए हुए हैं.
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