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This Article is From Nov 27, 2020

'ऐसा व्‍यवहार सांसद के लिए उपयुक्‍त नहीं': हाईकोर्ट की संजय राउत को नसीहत, कंगना से भी कहा-संयम बरतें

हाईकोर्ट ने बॉलीवुड एक्‍ट्रेस कंगना रनौत को भी भविष्य में सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करते हुए ''संयम'' बरतने का निर्देश दिया है.

'ऐसा व्‍यवहार सांसद के लिए उपयुक्‍त नहीं': हाईकोर्ट की संजय राउत को नसीहत, कंगना से भी कहा-संयम बरतें
शिवसेना सांसद संजय राउत को कंगना के खिलाफ आपत्तिजनक शब्‍दों का इस्‍तेमाल क‍िया था
मुंंबई:

बॉम्‍बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बॉलीवुड एक्‍ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को टारगेट करके किए गए कमेंट के लिए शिवसेना सांसद संजय राउत (Shiv Sena MP Sanjay Raut) को फटकार लगाई है. गौरतलब है कि कश्‍मीर की पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर (PoK)के साथ तुलना के मामले में राउत और बॉलीवुड एक्‍ट्रेस कंगना कड़वी बहसबाजी में उलझ गए थे. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कंगना रनौत को भी भविष्य में सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करते हुए ''संयम'' बरतने का निर्देश दिया है.अदालत ने कहा, ''हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को लोकप्रिय व्यक्ति होने के नाते ट्वीट करते समय कुछ संयम बरतना चाहिए.” हालांकि,आदेश में कहा गया है कि किसी नागरिक द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता में राज्य या उसके तंत्र के खिलाफ की गई टिप्पणियों को राज्य द्वारा नजरअंदाज किया जाना चाहिए.”

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गौरतलब है कि सितंबर माह में शिवसेना सांसद संजय राउत को कंगना के खिलाफ आपत्तिजनक शब्‍दों का इस्‍तेमाल करते हुए कैमरे पर कैद किया गया था.राउत ने अपने कमेंट के लेकर कभी माफी नहीं मांगी लेकिन एनडीटीवी से बातचीत में यह जरूर कहा था, 'मुझसे भी गलती हो सकती है.' उन्‍होंने कहा था, 'कंगना ने भी ये गलतियां की हैं, हमने कई बार यह देखा है.' गना की ओर से मुंबई को रहने के लिहाज से असुरक्षित बताने संबंधी ट्वीट का जिक्र करते हुए राउत ने यह बात कही थी. बॉम्‍बे हाईकोर्ट की बेंच कंगना रनौत द्वारा नौ सितंबर को उपनगरीय बांद्रा स्थित अपने पाली हिल बंगले में बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई के आदेश को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा कंगना के बंगले के हिस्से को ध्वस्त करने की कार्रवाई द्वेषपूर्ण कृत्य था और अभिनेत्री को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था. अदालत ने विध्वंस के आदेश को अवैध बताकर रद्द कर दिया. अदालत ने यह भी कहा कि अदालत किसी भी नागरिक के खिलाफ प्रशासन को ‘बाहुबल' का उपयोग करने की मंजूरी नहीं देता है. जस्टिस एसजे काठवाला और जस्टिस आरआई चागला की पीठ ने कहा कि नागरिक निकाय द्वारा की गई कार्रवाई अनधिकृत थी और इसमें कोई संदेह नहीं है. हालांकि बेंच ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी नागरिक द्वारा किए गए किसी भी अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने की पक्षधर नहीं है और न ही उसने रनौत के ट्वीट को सही ठहराया जिसके कारण यह पूरी घटना हुई. उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह अदालत अवैध कार्यों या सरकार के खिलाफ या फिल्म उद्योग के खिलाफ दिए गए किसी भी गैरजिम्मेदार बयान का अनुमोदन नहीं करती है.(भाषा से भी इनपुट)

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