नई दिल्ली:
कश्मीर में बोर्ड परीक्षा सोमवार से शुरू हो गई हैं. डर से सहमे हुए बच्चे अपने अभिभावकों के साथ स्कूल पहुंचे. माना जा रहा है कि ये बीजेपी और पीडीपी सरकार की भी परीक्षा है. दरअसल करीब छह महीने बाद घाटी के स्कूलो में फिर से चहल-पहल लौटी. सोमवार से जम्मू-कश्मीर में 10वीं और 12वीं बोर्ड के इम्तिहान शुरू हो गए हैं. परीक्षा में एक लाख बच्चों का भविष्य तय होना है.
अभिभावक ख़ुद अपने बच्चों को छोड़ने स्कूल पहुंचे और जब तक परीक्षा ख़त्म नहीं हुई तब तक स्कूल के आस पास रहे.
ये इम्तिहान सिर्फ बच्चों का नहीं,प्रशासन का भी है. बीते तीन महीनों में 35 स्कूल जला दिए गए. हालांकि राज्य प्रशासन ने इस मामले में 43 लोगों की पहचान की और दो दर्जन से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है. कोर्ट की हिदायत के बाद राज्य प्रशासन ने ख़ास इंतज़ाम किए हैं.
जानकारी के मुताबिक़ :
- बारहवीं के छात्रों के लिए 484 एक्जाम सेंटर बनाए गए हैं
- इनमें 48,000 छात्र परीक्षा देने आएंगे
- और दसवीं के लिए 550 एक्जाम सेंटर बनाए गए हैं
- इनमें 55000 छात्र परीक्षा में बैठेंगे
राज्य में स्कूल छह महीने से बंद
इसे ध्यान में रखते हुए आधे सिलेबस से सवाल आएंगे. ये कहना ग़लत नहीं कि एक स्कूल खुलेगा तो सौ जेलें बंद होंगी- ये कहावत पुरानी है. जम्मू-कश्मीर को लेकर इसका ख़ास मतलब है. स्कूल खुलेगा तो दहशतगर्दी की राह कुछ मुश्किल होगी. इम्तिहान शुरू होने को लेकर अलगाववादी नेता भी चुप रहे. ये अंदाजा सबको है कि स्कूल को सियासत और बंदी से दूर नहीं रखेंगे तो लोगों का समर्थन उन्हें नहीं मिलेगा.
अभिभावक ख़ुद अपने बच्चों को छोड़ने स्कूल पहुंचे और जब तक परीक्षा ख़त्म नहीं हुई तब तक स्कूल के आस पास रहे.
ये इम्तिहान सिर्फ बच्चों का नहीं,प्रशासन का भी है. बीते तीन महीनों में 35 स्कूल जला दिए गए. हालांकि राज्य प्रशासन ने इस मामले में 43 लोगों की पहचान की और दो दर्जन से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है. कोर्ट की हिदायत के बाद राज्य प्रशासन ने ख़ास इंतज़ाम किए हैं.
जानकारी के मुताबिक़ :
- बारहवीं के छात्रों के लिए 484 एक्जाम सेंटर बनाए गए हैं
- इनमें 48,000 छात्र परीक्षा देने आएंगे
- और दसवीं के लिए 550 एक्जाम सेंटर बनाए गए हैं
- इनमें 55000 छात्र परीक्षा में बैठेंगे
राज्य में स्कूल छह महीने से बंद
इसे ध्यान में रखते हुए आधे सिलेबस से सवाल आएंगे. ये कहना ग़लत नहीं कि एक स्कूल खुलेगा तो सौ जेलें बंद होंगी- ये कहावत पुरानी है. जम्मू-कश्मीर को लेकर इसका ख़ास मतलब है. स्कूल खुलेगा तो दहशतगर्दी की राह कुछ मुश्किल होगी. इम्तिहान शुरू होने को लेकर अलगाववादी नेता भी चुप रहे. ये अंदाजा सबको है कि स्कूल को सियासत और बंदी से दूर नहीं रखेंगे तो लोगों का समर्थन उन्हें नहीं मिलेगा.
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