राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ विधानसभा में बीएलओ लगातार बढ़ते दबाव, अधिकारियों की कथित धमकियों और कार्यभार की अव्यवस्था के चलते मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. वजह है जयपुर क्षेत्र में बीएलओ मुकेश जांगिड़ की आत्महत्या, जिसने पूरे प्रदेश के चुनावी तंत्र को झकझोर दिया है. आरोप है कि SIR कार्य में बना दबाव, अधिकारियों की प्रताड़ना और निलंबन-चार्जशीट की धमकियों ने मुकेश को आत्महत्या के लिए मजबूर किया.
अनूपगढ़ के BLO भी तनाव में
इसी घटना के बाद अनूपगढ़ के 244 मतदान केंद्रों पर नियुक्त बीएलओ भी तनाव में आ गए. सोमवार शाम करीब 5:30 बजे राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय और राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम सुरेश राव को ज्ञापन सौंपा. दोनों संगठनों ने कहा कि बीएलओ पूरी निष्ठा से SIR का काम कर रहे हैं, फिर भी कुछ अधिकारी लगातार दबाव बनाकर निलंबित करने और चार्जशीट जारी करने की धमकियां दे रहे हैं.
अध्यापकों ने मांग की कि प्रत्येक बीएलओ के साथ एक सहयोगी लगाया जाए ताकि काम सुचारू रूप से हो और किसी तरह का मानसिक तनाव न रहे. एसडीएम ने उन्हें टीमवर्क के साथ बिना तनाव काम करने की सलाह दी और कहा कि सहयोगी पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं.
क्यों परेशान हैं टीचर्स
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि 'एसआईआर का काम पूरा करने के लिए पर्याप्त समय है, फिर भी अधिकारियों की ओर से अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है. यही कारण है कि शिक्षक मानसिक दबाव में आ रहे हैं.' बीएलओ रवि कुमार ने चिंता जताते हुए कहा कि दिसंबर में स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं हैं लेकिन बीएलओ की ड्यूटी के कारण अध्यापक स्कूल में समय नहीं दे पा रहे, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि शासन सचिव के आदेश के बावजूद आधे से ज्यादा स्कूल स्टाफ को इस कार्य में लगा दिया गया है.\
अनूपगढ़ में प्रदर्शन
उधर जयपुर में मुकेश जांगिड़ की आत्महत्या के बाद विरोध तेज हो गया है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) ने शहीद स्मारक पर कैंडल मार्च निकालकर न्याय की मांग की. कर्मचारियों ने अधिकारियों की कथित मनमानी और बढ़ते कार्य-दबाव पर तीखी आपत्ति जताई.
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा, 'यह सिर्फ एक कर्मचारी की आत्महत्या नहीं, बल्कि सिस्टम की निरंकुशता का नतीजा है. जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा.' महासंघ ने सरकार से तीन प्रमुख मांगें उठाई हैं.
- बीएलओ के कार्य का निश्चित समय तय किया जाए
- महिला बीएलओ को सुरक्षा दी जाए
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो
कैंडल मार्च में सैकड़ों कर्मचारी शामिल हुए और चेताया कि अगर सरकार ने तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए, तो आंदोलन और उग्र होगा.