नई दिल्ली:
लोकपाल विधेयक पर प्रवर समिति की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी गई, जिसमें राज्यों में लोकायुक्तों के गठन के प्रावधान को मूल विधेयक से अलग किए जाने का सुझाव दिया गया है। बसपा और सपा सदस्यों के हंगामे के बीच समिति के सदस्य शांताराम नाइक ने यह रिपोर्ट पेश की।
यह विवादित विधेयक पिछले साल ही लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक के कई प्रावधानों का विरोध किया गया। इन प्रावधानों में राज्यों के लिए लोकायुक्त का गठन अनिवार्य बनाया जाना शामिल है।
सदस्यों के बीच मतभेद को देखते हुए विधेयक सदन की प्रवर समिति को भेज दिया गया था। समिति को अपनी रिपोर्ट मानसून सत्र के दौरान सौंपनी थी, लेकिन यह 19 नवंबर को तैयार हो पाई।
विधेयक और प्रवर समिति की रिपोर्ट पर मंत्रिमंडल को विचार करना है। राज्यसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद इसे फिर से लोकसभा को भेजा जाएगा, जहां इसके संशोधित संस्करण के लिए फिर से अनुमोदन हासिल करना होगा।
प्रधानमंत्री को विदेशी और आंतरिक सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और लोक व्यवस्था के मुद्दों पर लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
यह विवादित विधेयक पिछले साल ही लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में इस विधेयक के कई प्रावधानों का विरोध किया गया। इन प्रावधानों में राज्यों के लिए लोकायुक्त का गठन अनिवार्य बनाया जाना शामिल है।
सदस्यों के बीच मतभेद को देखते हुए विधेयक सदन की प्रवर समिति को भेज दिया गया था। समिति को अपनी रिपोर्ट मानसून सत्र के दौरान सौंपनी थी, लेकिन यह 19 नवंबर को तैयार हो पाई।
विधेयक और प्रवर समिति की रिपोर्ट पर मंत्रिमंडल को विचार करना है। राज्यसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद इसे फिर से लोकसभा को भेजा जाएगा, जहां इसके संशोधित संस्करण के लिए फिर से अनुमोदन हासिल करना होगा।
प्रधानमंत्री को विदेशी और आंतरिक सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और लोक व्यवस्था के मुद्दों पर लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
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