गुजरात के वाघोड़िया क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर पिछली बार जीतने वाले और छह बार के विधायक, मधुभाई श्रीवास्तव को इस बार बीजेपी की तरफ से टिकट नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. जिस पर उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी में शामिल होने का अफसोस है. उनके मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी टिकट के बारे में "कुछ नहीं कर सकते" क्योंकि "सब कुछ दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किया जाता है"
श्रीवास्तव, एक स्थानीय "बाहुबली" या मजबूत-राजनेता के तौर पर पहचाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में भूपेंद्र पटेल से बात नहीं की है: "मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पीएम मोदी और शाह से सीधा संबंध है.” लेकिन टिकट नहीं मिलने के बाद भी उन्होंने उनसे बात नहीं की. सूत्रों ने कहा कि श्रीवास्तव उन छह विद्रोहियों में से एक थे, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में राज्य के मंत्री हर्ष सांघवी से मिलने से इनकार कर दिया था.
श्रीवास्तव 1995 में निर्दलीय के रूप में जीतने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे. वह और उनके परिवार के सदस्य कांग्रेस, जनता दल और अन्य संगठनों के साथ भी रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मैं खुद बीजेपी में नहीं आया. जब मैं 1995 में भारी अंतर से जीता, तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह मुझसे भाजपा में शामिल होने का अनुरोध करने आए. यही कारण है कि मैं पार्टी में शामिल हुआ, ”उन्होंने फोन पर एनडीटीवी से बात करते इस बात का दावा किया. कुछ साल बाद मुख्यमंत्री बनने से पहले, पीएम मोदी उस समय राज्य में भाजपा के पदाधिकारी थे.शाह, जो अब केंद्रीय गृह मंत्री हैं, उस समय राज्य स्तर के राजनेता थे.
श्रीवास्तव ने कहा कि वडोदरा जिला भाजपा अध्यक्ष अश्विन पटेल, जिन्हें उनके स्थान पर टिकट मिला है, उन्होंने कभी भी स्थानीय चुनाव नहीं जीता है. “मैं स्पष्ट रूप से बहुत परेशान हूं और भाजपा से नाराज हूं. मैंने सभी पदों को छोड़ दिया है, ”बीजेपी ने अभी तक टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 282 सीटों में से 160 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में पांच मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष सहित 38 मौजूदा विधायकों को टिकट काट दिया.
जबकि पार्टी ने गुजरात में कुछ अंतर्कलह देखी है. अबकी बार बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में अधिक गंभीर खतरे का सामना करना पड़ा, जहां 68 में से 21 सीटों पर उसके विद्रोही चुनावी मैदान में उतरे थे. हिमाचल में 12 नवंबर को मतदान हुआ था, और गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को मतदान होना है, जिसके परिणाम 8 दिसंबर को आएंगे.
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