भाजपा ने जदयू नेता नीतीश कुमार पर गुरुवार को आरोप लगाया कि संवैधानिक प्राधिकार पर उंगली उठा कर वह 'गंदी राजनीति' में लिप्त हैं और उन्हें सलाह दी कि बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने तक वह 'सत्ता की अपनी लालसा' और मुख्यमंत्री बनने की 'हड़बड़ाहट' पर थोड़ा काबू करें।
पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के उस निर्णय को सही बताया जिसमें मांझी को 20 फरवरी को सदन में बहुमत सिद्ध करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा, 'संवैधानिक प्राधिकारी पर उंगली उठा कर नीतीश कुमार गंदी राजनीति में लिप्त हैं। उन्हें सबकी आलोचना करने की आदत हो गई है। ऐसा लगता है कि वह बहुत जल्दबाजी में हैं और तुरंत सत्ता में आना चाहते हैं।'
भाजपा प्रवक्ता के अनुसार, 'मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को सदन में बहुमत सिद्ध करने को कह कर राज्यपाल ने सही निर्णय किया है, क्योंकि विधानसभा सत्र बुलाने की तिथि की घोषणा पहले ही हो चुकी थी। सत्ता में आने की नीतीश कुमार की इच्छा की पूर्ति के लिए अलग से सत्र तो बुलाया नहीं जा सकता है।'
इससे पहले नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाते हुए आरोप लगाया था कि मांझी को बहुमत सिद्ध करने का और समय देने के पीछे उन्हीं का हाथ है जिससे कि विधायकों की खरीद फरोख्त का मौका मिल सके।
नीतीश ने आग्रह किया था कि राज्य विधानसभा का शीघ्र ही विशेष सत्र बुलाया जाए जिसमें मांझी अपना बहुमत सिद्ध करें लेकिन राज्यपाल द्वारा 20 फरवरी से होने वाले सत्र के पहले दिन ही मांझी को बहुमत सिद्ध करने को कहा गया।
राज्यपाल के इस फैसले की आलोचना करते हुए नीतीश ने कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में 'उच्चतम स्तर' पर लिखी गई 'पटकथा' पर चल रहे हैं, जिससे 'विधायकों की खरीद फरोख्त करने के केन्द्र की ओर से मिले लाइसेंस की तामील हो सके।'
उन्होंने कल दिल्ली में अपने समर्थक 130 विधायकों को लाकर अपना बहुमत दर्शाया था और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उनके साथ राजद, कांग्रेस, सपा और वाम दलों के नेता भी थे।
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