
चंद्रास्वामी.
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चंद्रास्वामी का लंबी बीमारी के बाद निधन
पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हाराव का करीबी था चंद्रास्वामी
शुरुआती दिनों में युवा कांग्रेस नेता था चंद्रास्वामी
- -बहरोड़ में पैदा हुए चंद्रास्वामी बचपन में अपने पिता के साथ हैदराबाद चले गए. अपने पुश्तैनी इलाके के करीब 10 जनपथ तक उन्होंने सीधी पहुंच बनाई.
- -नरसिम्हाराव जब आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो उसी दौराने चंद्रास्वामी उनसे मिला था. दो-चार मुलाकातों के बाद उसने राव को प्रभावित कर दिया था. शायद यही वजह थी कि उसे हैदराबाद युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था.
- -चंद्रास्वामी का असली नाम नेमि चंद्र जैन था, बाबा बनने के बाद उसने अपना नाम बदल लिया था.
- -इसके बाद चंद्रास्वामी दिल्ली आ गए और उस समय युवा कांग्रेस के महासचिव और मध्य प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता रहे महेश जोशी के बंगले के बाहर नौकरों वाले क्वार्टर में उन्हें जगह मिल गई थी.
- - अचानक से एक दिन पता चला कि नेमि चंद्र जैन ने अपना नाम बदलकर चंद्रास्वामी रख लिया है. वह खुद को अमर मुनि नामक एक साधु के शिष्य बताने लगा था. उसका दावा था कि वह बिहार-नेपाल सीमा पर तांत्रिक साधना करके लौटा है.
- -कुछ दिन बाद उसने अपनी पहचान गुरू चंद्रास्वामी के रूप में बना ली. आगे चलकर नेता, अभिनेता, पूंजीपति सभी उसके जाल में फंसते चले गए.
- -इसी चंद्रास्वामी के बारे में कहा जाता है कि इसने पूरे देश में गणेश की मूर्ति को दूध पीने का भ्रम फैलाया था.
- -चंद्रास्वामी पर राजीव गांधी हत्याकांड के अभियुक्तों की मदद करने का आरोप भी शामिल है.
- -समय ने पलटी खाई और तमाम ऊंचे संपर्कों के बावजूद उसे जेल जाना पड़ा. दाऊद इब्राहीम गिरोह से जुड़े अंडरवर्ल्ड के सदस्य बबलू श्रीवास्तव का प्रत्यर्पण करके 1995 में नेपाल से भारत लाया गया था. सीबीआई की पूछताछ के दौरान उन्होंने जानकारी दी कि चंद्रास्वामी के संबंध दाऊद इब्राहीम से हैं. ये जानकारी सामने आने के तुरंत बाद तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राजेश पायलट ने सीबीआई से कार्रवाई करने को कहा. इसके बाद चंद्रास्वामी के खिलाफ विदेशी मुद्रा क़ानून उल्लंघन समेत कई मामलों की जाँच शुरू हो गई.
- - पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर तांत्रिक चंद्रास्वामी से भी मिली थीं. उन्होंने ये भी दावा किया था कि थैचर के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी बहुत पहले उनके सामने ही कर दी थी. इस बात का ज़िक्र नटवर ने अपनी किताब, 'वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट' में भी किया है.
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