
- बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने अव्यवस्थित और लोकतंत्र विरोधी करार दिया है.
- योगेंद्र यादव ने कहा कि वोटर लिस्ट रिवीजन के नाम पर करोड़ों लोगों के वोट कटने का खतरा है और यह पूरे देश में लागू हो सकता है.
- उन्होंने नागरिकता का प्रमाण मांगे जाने को असंवैधानिक बताया और इसे लोकतंत्र के मूल अधिकारों पर हमला करार दिया है.
बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया पर सवालों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. इस मुद्दे पर NDTV से बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने इस प्रक्रिया को न केवल अव्यवस्थित बल्कि लोकतंत्र विरोधी करार दिया. उन्होंने इसे 'वोटबंदी' जैसा कदम बताया, जिसमें करोड़ों लोगों के वोट कटने का खतरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट रिवीजन के नाम पर खेल चल रहा है. इसकी आड़ में कुछ और नाम कट जाएंगे. उन्होंने कहा, 'देश के इतिहास में पहली बार लोगों के वोट छीनने का काम चल रहा है... और ये केवल बिहार का नहीं है. ये पूरे देश में लागू होने वाला है. ये वोटर लिस्ट का रिवीजन नहीं है, बल्कि नए सिरे से वोटर लिस्ट बन रही है.'
मजदूरों के नाम कटेंगे, क्योंकि वो स्मार्ट नहीं हैं?
योगेंद्र यादव ने इस पर सवाल उठाया कि जब फॉर्म भरने की आखिरी तारीख में महज 10 दिन बचे हैं, तब सरकार और चुनाव आयोग विज्ञापन देकर जागरूकता क्यों फैला रहे हैं. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा- 'क्या ये माना जा रहा है कि दिल्ली-मुंबई में सिक्योरिटी गार्ड बने बिहारी मजदूर रोज अंग्रेजी अखबार पढ़ते हैं और लैपटॉप खोलकर अपना नाम चेक करेंगे?'
यहां देखें पूरी बातचीत:
88% आंकड़ा 'झूठा', बीएलओ घर तक नहीं पहुंचे
चुनाव आयोग ने दावा किया है कि 88% लोगों तक फॉर्म पहुंच चुका है. इस पर योगेंद्र यादव ने सीधा आरोप लगाया- 'कोई फॉर्म देने घर नहीं गया. बीएलओ कमरे में बैठे हैं, सिग्नेचर फर्जी हैं, और फॉर्म भी मनगढ़ंत भरे जा रहे हैं.'
35 लाख नहीं... और भी नाम काटे जाएंगे
योगेंद्र यादव ने यह भी कहा कि 35 लाख मृतक या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना जरूरी हो सकता है, लेकिन इसमें डर ये है कि इसकी आड़ में और नाम भी काटे जाएंगे. उन्होंने चेताया, 'यह केवल बिहार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश में लागू हो सकता है.'
नागरिकता का प्रमाण मांगना असंवैधानिक
योगेंद्र यादव के मुताबिक यह पहली बार हो रहा है जब राज्य यह मानकर चल रहा है कि लोग विदेशी हैं. वे साबित करें वे असली नागरिक हैं. उन्होंने इसे भारत के यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइज यानी सभी वयस्कों को वोट का अधिकार देने की संवैधानिक व्यवस्था पर हमला बताया.
'ये वोटबंदी है, लोकतंत्र विरोधी है'
योगेंद्र यादव ने कहा, 'पहले चुनाव आयोग कहता था, तुम देश में रहते हो तो मैं मान लेता हूं कि तुम नागरिक हो. अब कहा जा रहा है, मैं मानता हूं तुम विदेशी हो. तुम प्रमाण दो.' उन्होंने जोर दिया कि चाहे प्रक्रिया नियमों के अनुसार हो या समय से, यह व्यवस्था ही लोकतंत्र विरोधी है.
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