विज्ञापन

सड़क से संसद तक... बिहार के SIR पर क्‍यों मचा है सियासी संग्राम, जानें सबकुछ

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 99 प्रतिशत मतदाता कवर किए जा चुके हैं. 20 लाख मृतक मतदाता, 28 लाख स्थायी प्रवासी मतदाता और 7 लाख से अधिक दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाता चिन्हित किए गए हैं. करीब 1 लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पाया है.

सड़क से संसद तक... बिहार के SIR पर क्‍यों मचा है सियासी संग्राम, जानें सबकुछ
विपक्ष का वार- एक राज्य में 65 लाख फर्जी वोटर?
  • बिहार में SIR के तहत नाम हटाने और अनियमितताओं के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने संसद में विरोध प्रदर्शन किया.
  • विपक्ष ने SIR प्रक्रिया में 60 लाख से अधिक मतदाताओं को हटाए जाने को लोकतंत्र की हत्या और गंभीर अनियमितता बताया
  • कांग्रेस सांसदों ने EC के दावों और वास्तविकता में भारी अंतर बताते हुए प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

बिहार में जारी वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत कथित तौर पर वोटर लिस्ट से नाम हटाने और व्यापक अनियमितताओं के खिलाफ इंडी गठबंधन के सांसदों ने शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, राजद सांसद मनोज झा और टीएमसी सांसद सुष्मिता देव सहित कई विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए. संसद के बाद अब एसआईआर पर सड़क पर जंग हो रही है. पटना से लेकर दिल्ली तक इसे लेकर सियासी बवाल जारी है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस पर अगली सुनवाई करेगा. बिहार विधानसभा का सत्र खत्म हो चुका है. ऐसे में अब एसआईआर के मुद्दे बिहार में सड़कों पर संग्राम होता नजर आ सकता है.

विपक्ष का वार- एक राज्य में 65 लाख फर्जी वोटर?

एसआई आर पर विरोध प्रदर्शन के बाद राजद सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि आज हम गांधी जी के पास गए हैं. किसी बुजुर्ग के पास आदमी तभी जाता है, जब लोकतंत्र संकट में हो. लोकतंत्र आज वाकई परेशान है. हम चुनाव आयोग से फिर कहेंगे कि किसी के इशारे पर काम करना बंद करिए. बांग्लादेश का चुनाव आयोग आपका आदर्श नहीं होना चाहिए. टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी एसआईआर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के तहत 60 लाख से अधिक वोटरों को लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. यह लोकतंत्र की सीधी हत्या है. यह कैसे संभव है कि एक राज्य में 65 लाख फर्जी वोटर हों? इसमें डॉक्युमेंटेशन की गंभीर खामियां हैं. असम में हमने एनआरसी के लिए छह साल दस्तावेज दिखाए, लेकिन आज तक एनआरसी पूरा नहीं हुआ. ऐसे में एसआईआर इतनी तेजी से कैसे हो गया? यह प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में है.

क्‍या सरकार और EC के दावों में अंतर?

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने जमीनी सच्चाई को उजागर करते हुए बताया कि सरकार और चुनाव आयोग के दावों में बहुत बड़ा अंतर है. उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि 97 प्रतिशत वेरिफिकेशन हो चुका है, लेकिन सच्चाई यह है कि मात्र 25 प्रतिशत लोगों का ही फॉर्म सबमिट हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुद वेबसाइट पर फॉर्म चेक नहीं कर सकते; उन्हें बीएलओ के पास जाना होता है. ऐसे में जब 75 प्रतिशत लोगों के फॉर्म ही सबमिट नहीं हुए, तो हम कैसे मान लें कि पूरा वेरिफिकेशन हो चुका है? रंजीत रंजन ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पहले से ही यह तय कर लिया है कि किनका नाम वोटर लिस्ट में रखना है और किनका हटाना है. उन्होंने आगे कहा कि 1 सितंबर तक का समय दिया गया है, लेकिन ज्यादातर लोग यह जानते ही नहीं कि उनका वोट बचा है या नहीं. गरीब और जागरूकता से वंचित तबके को इस प्रक्रिया में पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है.

SIR पर जेडीयू में दो फाड़

बिहार में चुनाव से पहले नीतीश सरकार एसआईआर का बड़ा दांव चला है, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है. लेकिन कुछ जेडीयू नेता ही इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं. जेडीयू सांसद गिरिधारी यादव ने सर प्रक्रिया को चुनाव आयोग का तानाशाही रवैया बताया. गिरिधारी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को बिहार के भूगोल और जमीनी स्थिती की जानकारी नहीं है. चुनाव आयोग को अगर सर्वे कराना ही था तो 6 महीने पहले कराता. वहीं जेडीयू विधायक डॉ. संजीव ने भी एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष के साथ होने का दावा किया था, लेकिन उनके सुर भी अब अलग नजर आ रहे हैं. जेडीयू में SIT के मुद्दे पर उठते विरोध को देखते हुए बीजेपी ने जेडीयू को सलाह दे डाली है. बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा है कि जेडीयू नेता गलतफहमी के शिकार हो गए हैं.

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 99 प्रतिशत मतदाता कवर किए जा चुके हैं. 20 लाख मृतक मतदाता, 28 लाख स्थायी प्रवासी मतदाता और 7 लाख से अधिक दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाता चिन्हित किए गए हैं. करीब 1 लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पाया है. 15 लाख से अधिक मतदाताओं ने अभी तक फॉर्म नहीं भरा है. कुल 7.17 करोड़ मतदाताओं (90.89%) के फॉर्म प्राप्त होकर डिजिटाइज किए जा चुके हैं. एसआईआर के तहत, अब तक जो मतदाता या तो गलत तरीके से सूची में शामिल हैं या जिन्होंने अभी तक अपना फॉर्म नहीं भरा है, उनकी सूचियां 20 जुलाई को बिहार के 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नामित 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स को सौंप दी गई हैं. इसका उद्देश्य पारदर्शिता बनाए रखते हुए सुधार प्रक्रिया में राजनीतिक सहभागिता को बढ़ाना है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com