- बिहार चुनाव के नतीजों ने महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच तनाव बढ़ा दिया है.
- शिवसेना उद्धव गुट के नेता अंबादास दानवे ने गठबंधन की आंतरिक देरी को बिहार चुनाव में हार का कारण बताया है.
- तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने कांग्रेस को लगातार हार पर मंथन करने और नेतृत्व पर विचार करने की जरूरत बताई.
बिहार चुनाव का असर अब राज्य की सीमा पार करता जा रहा है. महाराष्ट्र से लेकर बंगाल तक लपटें उठनी शुरू हो गई हैं. सियासी गलियारों में इसको लेकर काफी सुगबुगाहट है. कोशिश ये है कि लपटें भीषण आग में तब्दील ना हो, वरना इसका असर शीतकालीन सत्र में दिखेगा और राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्ष बिखरा हुआ नजर आएगा. संसद का शीतकालीन सत्र एक से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा.
महाराष्ट्र में खुला नया मोर्चा
शुरूआत महाराष्ट्र से हुई. बिहार चुनाव के नतीजों को लेकर महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच तनाव बढ़ गया है. शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस के नेताओं ने एक-दूसरे पर निशाना साधा है. शिवसेना उद्धव गुट नेता अंबादास दानवे ने बिहार में INDIA ब्लॉक की हार के लिए गठबंधन की आंतरिक देरी को जिम्मेदार ठहराया है. UBT नेता दानवे ने कहा कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने में हुई हिचकिचाहट और सीट-बंटवारे को अंतिम रूप देने में लगे लंबे समय ने गठबंधन को चुनाव में भारी नुकसान पहुंचाया. उनके अनुसार, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यात्रा को जनता का जबरदस्त समर्थन मिला था, उसी समय गठबंधन को तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर देना चाहिए था.
UBT-कांग्रेस की तू तू मैं मैं

दानवे ने महाराष्ट्र से तुलना करते हुए कहा कि अगर राज्य में भी उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा जल्दी घोषित कर दिया जाता और सीट-बंटवारा आसानी से हो जाता, तो विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुत अलग होते. इसपर कांग्रेस नेता अतुल लोंढे ने पलटवार किया. दानवे के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस नेता अतुल लोंढे ने दानवे को याद दिलाया कि बिहार का फैसला "ज्ञानेश कुमार(मुख्य चुनाव आयुक्त) की जीत थी, न कि नीतीश कुमार की." उन्होंने शिवसेना उद्धव गुट पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें यह देखना चाहिए कि उन्होंने जिन विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से कई सीटों पर तो उनकी जमानत तक जब्त हो गई. लोंढे ने सलाह दी कि गठबंधन के भीतर एक-दूसरे को निशाना बनाने के बजाय, सभी का ध्यान "वोट चोरी" जैसे बड़े मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए.
BMC चुनाव में अलग राह?

इसी बीच मुंबई मे होने वाले बीएमसी चुनाव में कांग्रेस ने अकेले लड़ने के संकेत दिए हैं. इसकी घोषणा रमेश चेन्निथला की तरफ से की गई है. बीएमसी चुनावों को लेकर कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि हमने यह निर्णय प्रदेश समिति और स्थानीय स्तर पर छोड़ दिया है. हालांकि, मुंबई कांग्रेस समिति ने यह तय किया है कि हम यह चुनाव अकेले लड़ेंगे. कई हफ़्तों से मुंबई कांग्रेस के कई प्रभावशाली नेता सार्वजनिक और निजी तौर पर आलाकमान पर दबाव डाल रहे थे कि पार्टी को स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़कर अपनी संगठनात्मक ताकत फिर से बनाने की अनुमति दी जाए. कांग्रेस की मुंबई इकाई की अध्यक्ष गायकवाड़ ने पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए कार्यकर्ताओं से 'बीएमसी में कांग्रेस का झंडा फहराने' का संकल्प लेने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'हमें कांग्रेस पार्षदों का निर्वाचन सुनिश्चित करना होगा... सभी 227 सीट के लिए तैयारी करनी होगी.'
टीएमसी के कांग्रेस से सवाल
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता कुणाल घोष ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस को अपनी हार पर मंथन करना चाहिए. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "बिहार चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस को अपने आप पर मंथन करना चाहिए, क्योंकि यह पार्टी लगातार फेल साबित हो रही है. महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा के बाद अब बिहार में उनकी हार हुई. जहां पर कांग्रेस के ऊपर भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी है, वहां पर पार्टी फेल साबित हो रही है." उन्होंने टीएमसी के पिछले प्रदर्शनों की तारीफ करते हुए कहा, "वहीं अगर लगातार किसी पार्टी को सफलता मिल रही है, तो वह बंगाल में ममता बनर्जी हैं. 2021 में विधानसभा चुनाव, 2023 में पंचायत चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा सांसदों की संख्या कम हो गई, जबकि तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की संख्या बढ़ गई."

घोष ने कहा, "ममता बनर्जी देश में सबसे लोकप्रिय हैं, 7 बार सांसद, 4 बार केंद्रीय मंत्री, दो बार रेलवे मंत्री, तीन बार मुख्यमंत्री रही. इस पर कांग्रेस सोचना चाहिए कि उनका नेतृत्व लगातार फेल साबित हो रहा है. कांग्रेस खुद तो जीत दर्ज नहीं कर पा रही है, बल्कि वह जिन राज्यों में, जिस पार्टी के साथ गठबंधन कर रही है, उसको भी डूबा रही है. कांग्रेस को खुद इस पर विचार करना चाहिए कि 'इंडिया' ब्लॉक के नेतृत्व की जिम्मेदारी किसके हाथ में होनी चाहिए. यह सच अब सभी के सामने आ गया है कि भाजपा को कौन हरा सकता है, वह ममता बनर्जी हैं."
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