पटना: बिहार सहित देश में आनंद मोहन की रिहाई को 'सियासी' चश्मे से देखा जा रहा है. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई होते ही बिहार से तेलंगाना तक राजनीति में उबाल है. एक तरफ जहां बिहार की सरकार आनंद मोहन की रिहाई पर कानूनी पक्ष दे रही है तो वहीं, विपक्ष और जी कृष्णैया की पत्नी और बेटी सरकार के इस फैसले पर सवाल भी उठा रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी बयान सामने आया है. उन्होंने इस मामले पर सरकार का बचाव किया है.
आनंद मोहन की रिहाई CM नीतीश ने क्या कहा?
बिहार के CM नीतीश कुमार ने पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, "इतने लोगों को जेल से छुट्टी मिलती है. एक आदमी की रिहाई पर जो बात की जा रही है...बड़ा आश्चर्य लग रहा है. इसमें कौन सी ऐसी बात है. 27 लोगों की रिहाई हुई है. लेकिन बात सिर्फ एक ही पर हो रही है. जो भी हुआ है...नियमों के तहत हुआ है. सरकारी अधिकारी की हत्या और आम हत्या पर क्या फर्क होता है."
सुशील मोदी से CM नीतीश का सवाल
CM नीतीश कुमार ने BJP नेता सुशील कुमार मोदी और आनंद मोहन की तस्वीर दिखाते हुए कहा, "सुशील मोदी ने खुद आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी. सभी लोगों से राय लेकर यह निर्णय लिया गया है, जो लोग विरोध कर रहे हैं, वह पहले इसके पक्ष में थे. हर जगह लोगों को छोड़ा जाता है, केंद्र सरकार के द्वारा भी कैदियों को छोड़ा जाता है. नियम और प्रावधान के अनुसार लोगों को रिलीज किया जाता है.
बिहार में यह कानून खत्म: नीतीश कुमार
CM नीतीश कुमार ने कहा, "बिहार में 2017 से अभी तक 22 बार परिहार बोर्ड की बैठक हुई और 698 बंदियों को रिहा किया गया. अब इस कानून को खत्म कर दिया गया है. मामले को 15 साल से अधिक हो गया है. जेल में आचरण के आधार पर कैदियों को रिहा किया जाता है. सभी लोगों से विचार करके यह किया गया है."
राजनीतिक स्वार्थ हो सकता है रिहाई का मोटिव
इससे पहले जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने NDTV से खास बातचीत में नीतीश कुमार के इस फैसले पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के पीछे वोट बैंक की राजनीति हो सकती है. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पद्मा कृष्णैया ने कहा- "निश्चित तौर पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि राजनीतिक स्वार्थ के अलावा और कोई मोटिव नहीं है, जिसके आधार पर नीतीश कुमार ने ऐसा फैसला लिया होगा."
निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा
आनंद मोहन सिंह 2007 में एक निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने बाद में इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. वह 15 साल से जेल में हैं. आनंद मोहन सिंह के बेटे लालू यादव की पार्टी आरजेडी से विधायक हैं. आनंद सिंह मोहन नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में बदलाव के बाद रिहा किए जाने वाले 27 कैदियों में शामिल हैं.
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