हरियाणा में बीजेपी की शानदार जीत के बाद एनडीए गुरुवार को चंडीगढ़ में गठबंधन के सभी मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक करेगा. यह बैठक नायब सिंह सैनी के दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद आयोजित की जाएगी. एनडीए इस बैठक के जरिए विपक्ष को भी अपनी मजबूती का संदेश देगा.
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले होने वाली बैठक की अध्यक्षता PM मोदी करेंगे. बैठक गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य लोग शामिल होंगे. बैठक के एजेंडे में लोकतंत्र की हत्या के प्रयास की 50 वीं वर्षगांठ का वर्ष है, जो आपातकाल के संदर्भ में है. बैठक में इंडिया गठबंधन को घेरने के लिए भी एजेंडा तय किया जाएगा.
बीजेपी के 13 मुख्यमंत्री और 16 उपमुख्यमंत्री हैं. बैठक में शामिल होने वाले महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, सिक्किम, नागालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्री होंगे, जो अन्य एनडीए दलों से हैं. बीजेपी की ओर से एक बयान में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो भी चर्चा का नेतृत्व करेंगे.
बीजेपी की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि इस बैठक में विचार-विमर्श में राष्ट्रीय विकास के मुद्दों को शामिल किया जाएगा. इसमें संविधान का अमृत महोत्सव और लोकतंत्र की हत्या के प्रयास की 50 वीं वर्षगांठ के वर्ष जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी.
नायब सिंह सैनी का शपथ ग्रहण समारोह और बैठक दोनों ही रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती वाल्मिकी जयंती पर आयोजित की जा रही है. बीजेपी सूत्रों ने कहा कि अनुसूचित जाति को संकेत देने के लिए यह तारीख चुनी गई है. लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के वोटों का झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर दिखा था और बीजेपी बहुमत से पीछे रह गई थी.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि बीजेपी चाहती थी कि एनडीए के पास 400 सांसद हों ताकि वह संविधान में संशोधन कर सके और "आरक्षण समाप्त" कर सके. 2019 में क्लीन स्वीप के बाद बीजेपी हरियाणा में 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर सिमट गई. लेकिन कुछ महीने बा विधानसभा चुनाव बीजेपी ने एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को धता बताते हुए शानदार जीत हासिल की.
बीजेपी नेताओं ने कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजे इस बात का सबूत है कि अनुसूचित जाति का वोट पार्टी में वापस आ गया है. महाराष्ट्र चुनाव में दलित मतदाता भी बड़ी भूमिका माना जाता है. सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन के लिए एक कठिन लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन हरियाणा की जीत के बाद बीजेपी की मुश्किलें थोड़ी कम होती दिख रही है.
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