त्रयंबकेश्वर मंदिर (फाइल फोटो)
पुणे:
मंदिरों में महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली भूमाता ब्रिगेड की महिलाओं को पुलिस ने नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बाहर ही रोक दिया। पुलिस ने कुछ महिलाओं को हिरासत में भी लिया है। ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें भरोसा दिलाया था लेकिन हो कुछ और रहा है।
मंदिर के लिए निकलीं इन महिलाओं को स्थानीय लोगों का भी विरोध झेलना पड़ा। ये महिलाएं त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का विरोध कर रही हैं। इस संगठन ने 26 जनवरी को अहमदनगर ज़िले के शनि शिंगणापुर मंदिर में लागू ऐसे ही प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश की थी।
तृप्ति देसाई के नेतृत्व वाले इस संगठन ने 26 जनवरी को अहमदनगर जिले के शनि शिंगनापुर मंदिर में लागू ऐसे ही प्रतिबंध को तोड़ने का हंगामेदार प्रयास किया था। तृप्ति ने लैंगिक न्याय के इस अभियान को जारी रखने का संकल्प लिया था।
अपने इस अभियान को अंजाम देने के लिए महाशिवरात्रि का मौका चुनते हुए इस संगठन ने अधिकारियों से कहा था कि वे पिछले मार्च की तरह इस मार्च में उनका रास्ता न रोकें। यह प्राचीन मंदिर नासिक से 30 किलोमीटर दूर स्थित त्रिंबक शहर में है। मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग है। देशभर में जारी आतंकी अलर्ट के कारण और महाशिवरात्रि के त्यौहार पर लाखों श्रद्धालुओं के आगमन के कारण इस मंदिर की सुरक्षा चाकचौबंद कर दी गई है।
मंदिर के ‘गर्भगृह’ में महिलाओं के प्रवेश की वकालत करने की अपनी योजना के तहत भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति लगभग 150-175 कार्यकर्ताओं के साथ पुणे से रवाना हुई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि पिछले अभियान की तरह इस बार उनकी सदस्यों को रास्ते में पकड़ा न जाए।
तृप्ति ने बताया, ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री ने शनि शिंगनापुर के मुद्दे पर हमारा समर्थन किया था, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि हमें रोका नहीं जाएगा और हमें ‘गर्भगृह’ में प्रवेश करने दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाई अलर्ट जारी होने की वजह से नासिक पुलिस ने हमसे बसों में न आने का अनुरोध किया था। इसलिए हम छोटे वाहनों से जा रहे हैं। हमने अपनी सदस्यों की संख्या को भी कम कर दिया है और अब सिर्फ 150-175 सदस्य ही हैं, जो शांतिपूर्ण ढंग से गर्भगृह में प्रवेश की कोशिश करेंगी।’’ वह यह भी उम्मीद करती हैं कि पुलिस उन्हें पूर्ण ‘बंदोबस्त’ के तहत गर्भगृह तक लेकर जाएगी ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े।
तृप्ति ने कहा, ‘‘इस शुभ दिन पर, हमें लगता है कि स्थानीय प्रशासन हमें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने देगा और यदि हमें रोका जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर और महाशिवरात्रि के दिन महिलाओं का अपमान होगा।’’ 26 जनवरी को शिंगनापुर मंदिर की ओर महिला कार्यकर्ताओं के बढ़ने के दौरान सूपा गांव में जो स्थिति पैदा हो गई थी, उसे इस शहर में पैदा होने से रोकने के लिए नासिक ग्रामीण पुलिस ने मंदिर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है।
पुलिस उप अधीक्षक प्रवीण मुंडे ने कहा, ‘‘हमने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और इस शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए भूमाता बिग्रेड के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए अवरोधक भी लगाए हैं।’’ इस बीच, दक्षिण पंथी संगठन महिला दक्षता समिति, शारदा महिला मंडल, पुरोहित संगठन आदि एकजुट हो गए हैं और उन्हांने इन कार्यकर्ताओं को मंदिर पहुंचने से पहले रोकने का फैसला किया है।त्रयंबकेश्वर मंदिर न्यास के सदस्य कैलाश घूले ने कहा कि गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध सालों पुरानी परंपरा है। इसे हाल में लागू नहीं किया गया। हालांकि महिलाएं बाहर से ‘दर्शन’ कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पुरूषों को भी रोजाना सुबह छह बजे से सात बजे तक मुख्य पूजास्थल पर जाने नहीं दिया जाता। परंपरा के मुताबिक, सिर्फ पुरूषों को ही उस क्षेत्र में जाने की अनुमति है, जहां मुख्य ‘लिंग’ विद्यमान है। वहां तक जाने के लिए भी पुरुषों को एक विशेष सोवाला (रेशमी कपड़ा) पहनना पड़ता है। शहर में रहने वाले कुछ पुजारियों का कहना है कि अधिकतर महिला श्रद्धालु इस परंपरा को नहीं तोड़ना चाहेंगी।
इस परंपरा की वैज्ञानिक वजह बताने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि मूल स्थान पर कुछ किरणें एकत्र होती हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। तृप्ति ने शिंगनापुर मंदिर के आंतरिक चबूतरे पर प्रवेश करने की कोशिश करके देशभर के मंदिरों में लैंगिक पक्षपात पर राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी थी। शिंगनापुर मंदिर में पारंपरिक तौर पर महिलाओं को पूजा की अनुमति नहीं है।
आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश करते हुए दर्शन के लिए ‘तिरूपति मॉडल’ अपनाने का सुझाव दिया था लेकिन तृप्ति ने इसे मानने से इंकार कर दिया। इस मॉडल के तहत पुरूषों और महिलाओं दोनों को ही शनि भगवान के प्रतिरूप से दूर रखने का सुझाव दिया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मंदिर के लिए निकलीं इन महिलाओं को स्थानीय लोगों का भी विरोध झेलना पड़ा। ये महिलाएं त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध का विरोध कर रही हैं। इस संगठन ने 26 जनवरी को अहमदनगर ज़िले के शनि शिंगणापुर मंदिर में लागू ऐसे ही प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश की थी।
तृप्ति देसाई के नेतृत्व वाले इस संगठन ने 26 जनवरी को अहमदनगर जिले के शनि शिंगनापुर मंदिर में लागू ऐसे ही प्रतिबंध को तोड़ने का हंगामेदार प्रयास किया था। तृप्ति ने लैंगिक न्याय के इस अभियान को जारी रखने का संकल्प लिया था।
अपने इस अभियान को अंजाम देने के लिए महाशिवरात्रि का मौका चुनते हुए इस संगठन ने अधिकारियों से कहा था कि वे पिछले मार्च की तरह इस मार्च में उनका रास्ता न रोकें। यह प्राचीन मंदिर नासिक से 30 किलोमीटर दूर स्थित त्रिंबक शहर में है। मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग है। देशभर में जारी आतंकी अलर्ट के कारण और महाशिवरात्रि के त्यौहार पर लाखों श्रद्धालुओं के आगमन के कारण इस मंदिर की सुरक्षा चाकचौबंद कर दी गई है।
मंदिर के ‘गर्भगृह’ में महिलाओं के प्रवेश की वकालत करने की अपनी योजना के तहत भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति लगभग 150-175 कार्यकर्ताओं के साथ पुणे से रवाना हुई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि पिछले अभियान की तरह इस बार उनकी सदस्यों को रास्ते में पकड़ा न जाए।
तृप्ति ने बताया, ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री ने शनि शिंगनापुर के मुद्दे पर हमारा समर्थन किया था, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि हमें रोका नहीं जाएगा और हमें ‘गर्भगृह’ में प्रवेश करने दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाई अलर्ट जारी होने की वजह से नासिक पुलिस ने हमसे बसों में न आने का अनुरोध किया था। इसलिए हम छोटे वाहनों से जा रहे हैं। हमने अपनी सदस्यों की संख्या को भी कम कर दिया है और अब सिर्फ 150-175 सदस्य ही हैं, जो शांतिपूर्ण ढंग से गर्भगृह में प्रवेश की कोशिश करेंगी।’’ वह यह भी उम्मीद करती हैं कि पुलिस उन्हें पूर्ण ‘बंदोबस्त’ के तहत गर्भगृह तक लेकर जाएगी ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े।
तृप्ति ने कहा, ‘‘इस शुभ दिन पर, हमें लगता है कि स्थानीय प्रशासन हमें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने देगा और यदि हमें रोका जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर और महाशिवरात्रि के दिन महिलाओं का अपमान होगा।’’ 26 जनवरी को शिंगनापुर मंदिर की ओर महिला कार्यकर्ताओं के बढ़ने के दौरान सूपा गांव में जो स्थिति पैदा हो गई थी, उसे इस शहर में पैदा होने से रोकने के लिए नासिक ग्रामीण पुलिस ने मंदिर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है।
पुलिस उप अधीक्षक प्रवीण मुंडे ने कहा, ‘‘हमने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और इस शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए भूमाता बिग्रेड के कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए अवरोधक भी लगाए हैं।’’ इस बीच, दक्षिण पंथी संगठन महिला दक्षता समिति, शारदा महिला मंडल, पुरोहित संगठन आदि एकजुट हो गए हैं और उन्हांने इन कार्यकर्ताओं को मंदिर पहुंचने से पहले रोकने का फैसला किया है।त्रयंबकेश्वर मंदिर न्यास के सदस्य कैलाश घूले ने कहा कि गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध सालों पुरानी परंपरा है। इसे हाल में लागू नहीं किया गया। हालांकि महिलाएं बाहर से ‘दर्शन’ कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि पुरूषों को भी रोजाना सुबह छह बजे से सात बजे तक मुख्य पूजास्थल पर जाने नहीं दिया जाता। परंपरा के मुताबिक, सिर्फ पुरूषों को ही उस क्षेत्र में जाने की अनुमति है, जहां मुख्य ‘लिंग’ विद्यमान है। वहां तक जाने के लिए भी पुरुषों को एक विशेष सोवाला (रेशमी कपड़ा) पहनना पड़ता है। शहर में रहने वाले कुछ पुजारियों का कहना है कि अधिकतर महिला श्रद्धालु इस परंपरा को नहीं तोड़ना चाहेंगी।
इस परंपरा की वैज्ञानिक वजह बताने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि मूल स्थान पर कुछ किरणें एकत्र होती हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। तृप्ति ने शिंगनापुर मंदिर के आंतरिक चबूतरे पर प्रवेश करने की कोशिश करके देशभर के मंदिरों में लैंगिक पक्षपात पर राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी थी। शिंगनापुर मंदिर में पारंपरिक तौर पर महिलाओं को पूजा की अनुमति नहीं है।
आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश करते हुए दर्शन के लिए ‘तिरूपति मॉडल’ अपनाने का सुझाव दिया था लेकिन तृप्ति ने इसे मानने से इंकार कर दिया। इस मॉडल के तहत पुरूषों और महिलाओं दोनों को ही शनि भगवान के प्रतिरूप से दूर रखने का सुझाव दिया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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