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केवल 'लड़कियों' की एंट्री: 'भोले बाबा' के आश्रम के अंदर क्या होता है, ये किसी को नहीं पता- लोगों का दावा

भगदड़ की यह घटना स्वयंभू बाबा भोले के सत्संग के दौरान हुई. पुलिस के अनुसार, इस घटना में जान गंवाने वाले 121 लोगों में से 17 अलीगढ़ से थे और 19 लोग हाथरस से थे.

केवल 'लड़कियों' की एंट्री: 'भोले बाबा' के आश्रम के अंदर क्या होता है, ये किसी को नहीं पता- लोगों का दावा
महिलाओं और लड़कियों को बाबा के आश्रम में जाने के लिए थी खुली छूट
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे के 4 दिन बाद 'भोले बाबा' का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें ​​'भोले बाबा' उर्फ सूरजपाल ने 2 जुलाई की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि "मैं बहुत दुखी हूं. भगवान हमें इस दर्द को सहने की शक्ति दे". सूरजपाल के कई आश्रम हैं. अलवर जिले के खेड़ली उपखंड के गांव सहजपूरा में भी बाबा का डेढ़ बीघा के क़रीब जमीन पर एक आश्रम बना हुआ है. जहां बाबा ने पूर्व में आकर कई बार सत्संग कार्यक्रम का अयोजन किया था. इस दौरान कई हजारों के क़रीब श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी. जानकारी के अनुसार कोरोना काल में बाबा इसी आश्रम में 9 से 10 महीने के करीब लगातार रहे थे.

लड़कियों को ही आश्रम में प्रवेश की इजाजत

सहजपुर गांव के लोगों ने बताया कि बाबा के इस आश्रम में गांव के लोगों को आने-जाने से रोक दिया जाता था. बाहर के ही लोग और श्रद्धालु को आश्रम में आने की अनुमति थी. सहजपुर गांव के लोगों ने बाबा के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि जो हाथरस में 121 लोगे की जान गई हैं, उसका जिम्मेदार बाबा ही है. उसको जेल होनी चाहिए. बाबा गांव के लोगों को आश्रम में प्रवेश नहीं देता था और लड़कियों को ही आश्रम में प्रवेश की इजाजत थी. आश्रम के अंदर क्या होता है, यह किसी को नहीं बताया जाता था. लोगों ने कहा अगर बाबा दोषी नहीं है, तो उनको जनता के सामने आना चाहिए और जो घटना हुई है, उन पीड़ित लोगों की सहायता करनी चाहिए.

बाबा ने जमीन पर किया कब्जा

जिस व्यक्ति ने आश्रम के लिए जमीन बेची थी उसने बाबा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा मैंने यह डेढ़ बीघा के क़रीब जमीन बिक्री की थी. जिसपर आश्रम बनाया गया है और इसके सामने जो कुछ हिस्सा है. उसपर बाबा के सेवेदार का कमरा बना हुआ है, वह मेरी जमीन है. जिसको बाबा ने जबरन कब्जा लिया था. यह जमीन साल 2008- 09 के क़रीब मैंने बाबा की कमेटी के लोगों को बेची थी. साल 2010 के क़रीब इसपर आश्रम बनने का काम चालू हुआ था.

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