क्‍या INDIA को सिर्फ भारत कहा जाएगा... सत्‍ता के गलियारों में अटकलें तेज, समझें पूरा मामला

सितंबर में गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को इंडिया नाम का इस्तेमाल बंद करके भारत का नाम इस्तेमाल करना चाहिए.

क्‍या INDIA को सिर्फ भारत कहा जाएगा... सत्‍ता के गलियारों में अटकलें तेज, समझें पूरा मामला

राष्ट्रपति मुर्मू की ओर से भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र से अटकलों को हवा

नई दिल्‍ली:

क्या हमारे देश का नाम सिर्फ़ भारत रहेगा...? क्या देश के नाम से इंडिया (INDIA) शब्द को हटाया जा सकता है...? संसद के विशेष अधिवेशन से ठीक पहले ये चर्चा तेज़ हो गई है. सवाल उठ रहा है कि क्या 18 से 22 सितंबर को होने वाले संसद के विशेष अधिवेशन में देश के नाम से INDIA हटाने को लेकर सरकार कोई विधेयक ला सकती है. दरअसल ये चर्चा तेज़ हुई है जी20 शिखर सम्‍मेलन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भेजे एक निमंत्रण पत्र से. राष्ट्रपति भवन ने जी-20 शिखर सम्मेलन में नौ सितंबर के लिए ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर निमंत्रण भेजा है. 

प्राइम मिनिस्टर ऑफ़ भारत...

आसियान-इंडिया शिखर वार्ता में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रात इंडोनेशिया जाने वाले हैं. इस दौरे के लिए आधिकारिक नोट में पीएम मोदी को प्राइम मिनिस्टर ऑफ़ भारत लिखा गया है. पीएम मोदी कल ही इंडोनेशिया से लौट भी आएंगे. आसियान को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत तथा अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं.

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भागवत ने कहा था लोगों को इंडिया नाम का इस्तेमाल...

2 सितंबर को गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को इंडिया नाम का इस्तेमाल बंद करके भारत का नाम इस्तेमाल करना चाहिए. उन्‍होंने कहा था, "हमारे देश का नाम सदियों से भारत ही है. भाषा कोई भी हो, नाम एक ही रहता है. हमारा देश भारत है और हमें सभी व्यवहारिक क्षेत्रों में 'इंडिया' शब्द का प्रयोग बंद करके भारत का उपयोग शुरू करना होगा, तभी परिवर्तन आएगा. हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा."   

राष्ट्रपति मुर्मू की ओर से भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र से अटकलों को हवा

मोहन भागवत के बयान के बाद चल रही अटकलों को हवा मिली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे जा रहे एक निमंत्रण पत्र से. 9 सितंबर को जी20 बैठक में आनेवाले राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति की ओर से जो निमंत्रण पत्र भेजा गया है उसमें अंग्रेज़ी में President of Bharat लिखा हुआ है. आमतौर पर ऐसे निमंत्रण पत्रों में अंग्रेजी में President of India लिखा जाता रहा है, जबकि हिंदी में भारत के राष्ट्रपति लिखा होता है. 

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INDIA को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

राष्ट्रपति के निमंत्रण पर पक्ष और विपक्ष के नेता आमने-सामने आ गए हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट करके लिखा, 'गर्व है कि हमारी सभ्यता साहस के साथ अमृत काल की तरफ़ बढ़ती जा रही है' उधर विपक्ष ने इस पहल की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया से डर कर सरकार नाम बदल सकती है. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "इंडिया गठबंधन के नाम के चलते देश का नाम बदलकर भारत रख रहे हैं. अगर इंडिया गठबंधन ने अपना नाम भारत रख लिया, तो क्या देश का नाम बीजेपी कर देंगे.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, "इसमें नया क्या है, लेकिन पूरी दुनिया इंडिया नाम से जानती है. आज ऐसा क्या हो गया कि देश का नाम ही बदल रहे हैं...?" 

बदलना होगा संविधान के अनुच्छेद-1

वैसे भारत के नाम का ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद-1 में किया गया है, जिसमें अंग्रेज़ी में लिखा गया है. 'India , that is Bharat , shall be an union of states', जबकि हिंदी में लिखा है- "भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा." ऐसे में अगर देश के नाम से India शब्द हटाना है, तो मोदी सरकार को संविधान के अनुच्छेद-1 समेत कुछ अन्य अनुच्छेदों में बदलाव करना होगा. 

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योगी आदित्‍यनाथ लोकसभा में 'इंडिया मुद्दे' पर लेकर आए थे प्राइवेट मेंबर बिल

इंडिया नाम का मुद्दा नया नहीं है. इस तरह की मांग पहले भी उठती रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा के सदस्य के तौर पर 13 मार्च 2015 को लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद-1 में बदलाव के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया था. ख़ास बात ये है कि 2015 में ऐसी ही एक मांग पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि हाल में ऐसे कोई बदलाव नहीं आए हैं कि संविधान के अनुच्छेद 1 में बदलाव पर विचार किया जाए. अब देखना ये है कि क्या सरकार अपने उस रुख़ में कोई बदलाव करती है या नहीं.

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