सुप्रीम कोर्ट के आदिवासियों और वनवासियों को उनके आवास से बेदखल करने के फैसले से राहत देने के हालिया आदेश के बावजूद आदिवासी समूहों ने अपने 5 मार्च के घोषित भारत बंद के फैसले पर कायम रहने का निर्णय किया है. आदिवासी इस राहत को फौरी मान रहे हैं और उनका मानना है कि वन अधिकार अधिनियम के तहत उचित कानून की गैरमौजूदगी में इसे कभी भी पलट दिया जाएगा. आदिवासी समूह यह मांग का रहे हैं कि केंद्र उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए अध्यादेश लाए.
इसके लेकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर इसका समर्थन किया है. लालू ने ट्वीट कर कहा कि देश में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. आदिवासियों की जमीनें छीनी जा रही हैं.
देश में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के अस्तित्व पर ख़तरा मंडरा रहा है।आदिवासियों की ज़मीने छिनी जा रही है। संविधान के साथ छेड़छाड़ कर वंचित वर्गों का आरक्षण समाप्त किया जा रहा है। दलितों पर उत्पीड़न बढ़ गया है। RSS की जातिवादी नीतियों को लागू किया जा रहा है। #5MarchBharatBandh pic.twitter.com/mr3s7ps2g6
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) March 4, 2019
जहां यह हड़ताल कई राज्यों में प्रस्तावित है वहीं प्रदर्शनकारी समूहों ने कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मंगलवार को मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक होने वाले मार्च में शामिल होने की अपील की है. यह भारत बंद वन अधिकार अधिनियम को बहाल करने की मांग, साथ ही दलितों द्वारा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों व अन्य सरकारी संस्थानों में बहाली में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को समाप्त करने की मांग को लेकर बुलाया गया है.
बंद बुलाने वाले संगठनों में आदिवासी अधिकार आंदोलन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा और संविधान बचाओ संघर्ष समिति शामिल हैं.
उधर एक मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक नयी याचिका दायर की गई है जिसमें किसी वनवासी को बेदखल नहीं करने का अधिकारियों को निर्देश देने और देश में आदिवासी भूमि के अवैध कब्जे पर गौर करने के लिए एक एसआईटी गठित करने का अनुरोध किया गया है. छत्तीसगढ़ स्थित तारिका तरंगिनी लर्का द्वारा दायर याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वह आदिवासियों से संबंधित किसी भी वन भूमि को उस विशेष क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के अलावा किसी अन्य को आवंटित नहीं करे. न्यायालय ने गरुवार को अपने 13 फरवरी के आदेश पर रोक लगा दी थी. लर्का की ओर से पेश अधिवक्ता एम एल शर्मा ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया. पीठ ने संबंधित मामले में एक अन्य पीठ द्वारा बृहस्पतिवार को पारित किए गए आदेश का हवाला देते हुए शर्मा से कहा कि 13 फरवरी के आदेश पर पहले ही रोक लगा दी गई है. हालांकि, जब शर्मा ने याचिका को जल्दी सूचीबद्ध किए जाने पर जोर दिया तो पीठ ने उनसे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष मामले का उल्लेख करने को कहा.
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