कर्नाटक के बेंगलुरु में एक जोड़े को गुरुवार आधी रात को कथित तौर पर पुलिसकर्मियों ने रात 11 बजे के बाद घर के पास सड़क पर होने के कारण एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इस 'कानून तोड़ने' के लिए भुगतान PayTmऐप के माध्यम से लिया गया. दंपति एक बर्थडे पार्टी में शामिल होकर घर जा रहा था कि यह घटना हो गई.
एक ट्विटर थ्रेड में, कार्तिक पत्री नाम के एक व्यक्ति ने अपनी आपबीती सुनाई और बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त से मदद का अनुरोध किया. कार्तिक पत्री ने ट्विटर थ्रेड में लिखा, "मैं एक दर्दनाक घटना साझा करना चाहता हूं, जो मेरी पत्नी और मेरे साथ रात में हुई. यह लगभग 12:30 मध्यरात्रि थी. मैं और मेरी पत्नी एक दोस्त के केक काटने की रस्म में भाग लेने के बाद घर वापस आ रहे थे. हम मान्यता टेक पार्क के पीछे एक सोसायटी में रहते हैं."
I would like to share a traumatic incident my wife and I encountered the night before. It was around 12:30 midnight. My wife and I were walking back home after attending a friend's cake-cutting ceremony (We live in a society behind Manyata Tech park). (1/15)
— Karthik Patri (@Karthik_Patri) December 9, 2022
कार्तिक पत्री ने ट्विटर थ्रेड में लिखा, " हमअपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर थे, जब एक पुलिस गश्ती वैन हमारे पास रुकी और पुलिस की वर्दी में दो लोगों ने हमारा आईडी कार्ड दिखाने की मांग की. हम हैरान रह गए. एक सामान्य दिन में सड़क पर चलने वाले एक वयस्क जोड़े को अपना आईडी कार्ड दिखाने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए? पुलिसकर्मी एक पिंक होयसला वैन में थे. यह वैन सुरक्षा पैनिक ऐप और पुलिस कंट्रोल रूम नंबर 112 के माध्यम से प्राप्त शिकायतों को देखती है."
कार्तिक पत्री ने लिखा, "हमने अपने आधार कार्ड की तस्वीरें पुलिस को दिखाईं, जिसके बाद पुलिस वालों ने हमारे फोन जब्त कर लिए और हमसे व्यक्तिगत विवरण के बारे में पूछताछ की. हमने उनके सवालों का विनम्रता से जवाब दिया. तभी उनमें से एक ने चालान बुक की तरह दिखने वाली चीज़ निकाली और हमारे नाम और आधार संख्या को नोट करना शुरू कर दिया. परेशानी को भांपते हुए, हमने पूछा कि हमें चालान क्यों जारी किया जा रहा है, तो पुलिसकर्मियों में से एक ने बताया कि उन्हें रात 11 बजे के बाद "सड़क पर घूमने" की अनुमति नहीं है."
कार्तिक पात्री ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं थे कि इस तरह का कोई नियम था, दंपति ने स्थिति को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया, क्योंकि देर रात हो चुकी थी और उनके फोन जब्त कर लिए गए थे. पत्री ने दावा किया कि दंपति ने इस तरह के नियम से अनजान होने के लिए माफी मांगी, लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने से मना कर दिया और 3,000 रुपये जुर्माने की मांग की.
कार्तिक पात्री ने लिखा, "यह स्पष्ट था कि यह दोनों (दुखद, अगर वे वास्तव में पुलिसकर्मी थे) बिना सोचे-समझे नागरिकों को धोखा देने के लिए बाहर थे, और हम उनके शिकार बन गए. हमने सचमुच उनसे विनती की कि हमें जाने दें, लेकिन वे माने नहीं. जितना अधिक हम विनती करते थे, वे उतने ही कठोर होते गए, यहां तक कि हमें गिरफ्तार करने की धमकी देने लगे. यह ऐसा था, जैसे हम दलदल में फंस गए हों - जितना अधिक हम संघर्ष करते थे, हम उतने ही गहरे डूबते गए. यह लंबे समय तक जारी रहा, जब तक कि उत्पीड़न असहनीय नहीं हो गया. पुलिसकर्मियों ने भुगतान न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी."
कार्तिक ने लिखा कि मैं मुश्किल से अपना आपा रोक सका, जबकि मेरी पत्नी आंसू बहा रही थी. शायद यह महसूस करते हुए कि उन्होंने एक महिला को बहुत डरा दिया था, एक पुलिसकर्मी मुझे दूर ले गया और "सलाह" दी कि वह आगे की परेशानी से बचने के लिए न्यूनतम राशि का भुगतान करे. पत्री ने कहा कि वह 1,000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया, जिसे पुलिसकर्मी ने उसे पेटीएम के माध्यम से भेजने के लिए कहा. उस व्यक्ति ने तुरंत एक पेटीएम क्यूआर कोड पकड़ा, मेरे स्कैन करने और भुगतान करने का इंतजार किया और हमें एक कड़ी चेतावनी के साथ जाने दिया.
बेंगलुरु शहर के उत्तर पूर्व डिवीजन के पुलिस उपायुक्त अनूप ए शेट्टी ने ट्विटर थ्रेड का जवाब देते हुए पात्री को मामले के बारे में बताने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें पुलिस वालों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया.
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