पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक से पहले AAP का कांग्रेस को अल्टीमेटम- "अध्यादेश पर समर्थन दो वरना..."

आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शुक्रवार को पटना में मंथन करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा के गठन की रणनीति बनाएंगे.

पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक से पहले  AAP का कांग्रेस को अल्टीमेटम-

नीतीश कुमार ने 23 जून यानी शुक्रवार को पटना में विपक्षी दल की बैठक बुलाई है

नई दिल्‍ली:

विपक्षी दलों की महाबैठक से पहले ही घमासान शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस समर्थन नहीं देती, तो वो विपक्षी बैठक का बॉयकॉट करेगी. आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शुक्रवार को पटना में मंथन करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा के गठन की रणनीति बनाएंगे.

आम आदमी पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगर कांग्रेस ने शुक्रवार की बैठक में अध्यादेश पर समर्थन करने का आश्वासन नहीं दिया, तो आप बैठक से तुरंत वाकआउट करेगी. केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर 23 जून को होने वाली गैर-भाजपा दलों की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा करने और मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.

इससे पहले आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं से कहा कि वे इसे 'दिल्ली केंद्रित समस्या' के तौर पर नहीं सोचें और दावा किया कि यदि विरोध नहीं किया गया तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला केंद्र अन्य राज्यों के लिए भी इसी तरह का अध्यादेश ला सकता है. शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के लिए पटना में बुलाई है. इस बैठक में केजरीवाल भी शामिल होने वाले हैं.

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केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना पर एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था, जिसे ‘आप' नीत सरकार ने सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े उच्चतम न्यायालय के फैसले के साथ धोखा करार दिया था. शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार में सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के मामले उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे. अध्यादेश के बाद, केजरीवाल गैर-भाजपा दलों के नेताओं से लगातार संपर्क करके इसके खिलाफ समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि संसद में इससे संबंधित विधेयक पारित न हो पाए.

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