झारखंड विधानसभा में आज राज्य सरकार की स्थानीय नीति को लेकर अपनायी जा रही ढुलमुल नीति पर भाजपा समेत सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने जोरदार हमला बोला और भाजपा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में नौकरी के लिये राज्य से दसवीं और बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने को अनिवार्य किया जाना संविधान का उल्लंघन है और इसे तत्काल बदला जाना चाहिये. आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान इस संबन्ध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार फिलहाल दसवीं और बारहवीं उत्तीर्ण करने के आधार पर मिलने वाली सरकारी नौकरियां राज्य के बाहर से इन कक्षाओं में उत्तीर्णता प्राप्त करने वालों को नहीं देगी.
इस पर भाजपा के भानु प्रताप शाही ने राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला और कहा कि राज्य सरकार का यह कदम पूरी तरह संविधान विरुद्ध है. भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि आखिर मूलतः झारखंड के रहने वाले परिवारों के बच्चों को सिर्फ राज्य से बाहर शिक्षा ग्रहण करने पर राज्य के रोजगार से विलग कैसे किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि यह देश के संविधान की भावनाओं के बिलकुल विपरीत है.
महतो ने अपने सवाल किया था कि क्या यह सही है कि 21 अगस्त, 2021 को झारखंड के गजट में प्रकाशित नियमों के तहत अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम योग्यता के अतिरिक्त 10वीं और 12वीं कक्षा झारखंड में स्थित मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है? वहीं दूसरी ओर राज्य में आरक्षण नीति से आच्छादित अभ्यर्थियों के मामले में राज्य की शैक्षणिक संस्थाओं से दसवीं एवं बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं किया गया है?
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