प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
कालाधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन लाख रुपये से अधिक के लेन-देन के नकदी में निपटान पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। एसआईटी ने नकदी रखने पर अधिकतम 15 लाख रुपये की सीमा तय करने का सुझाव दिया।
रिटायर्ड जस्टिस एम बी शाह के नेतृत्व में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए गठित एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपनी पांचवीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह की एकत्र की गई अघोषित संपत्ति की अधिकांश मात्रा नकद के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इस संबंध में एक आधिकारिक बयान में कहा गया, '' कई देशों में इस तरह के प्रावधानों के अस्तित्व में होने और कोर्ट की विभिन्न रिपोर्टों और विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए एसआईटी ने यह महसूस किया कि वित्तीय लेनदेन की अधिकतम सीमा निर्धारित करने की जरूरत है।''
ऐसे में एसआईटी तीन लाख रुपये से अधिक के नकदी लेनदेन पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश करती है और ऐसे लेनदेन को अवैध घोषित किए जाने और कानून के अंतर्गत दंडनीय बनाने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत पर बल देती है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
रिटायर्ड जस्टिस एम बी शाह के नेतृत्व में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए गठित एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपनी पांचवीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह की एकत्र की गई अघोषित संपत्ति की अधिकांश मात्रा नकद के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इस संबंध में एक आधिकारिक बयान में कहा गया, '' कई देशों में इस तरह के प्रावधानों के अस्तित्व में होने और कोर्ट की विभिन्न रिपोर्टों और विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए एसआईटी ने यह महसूस किया कि वित्तीय लेनदेन की अधिकतम सीमा निर्धारित करने की जरूरत है।''
ऐसे में एसआईटी तीन लाख रुपये से अधिक के नकदी लेनदेन पर पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश करती है और ऐसे लेनदेन को अवैध घोषित किए जाने और कानून के अंतर्गत दंडनीय बनाने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत पर बल देती है।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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