
उत्तर भारत के कई राज्यों में बैसाखी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बैसाखी को पोइला, बौइशाख, विशु, और बीहू जैसे नामों से भी जाना जाता है. बैसाखी के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और आस्था की डूबकी लगाई जाती है. आज बैसाखी के मौके पर हरिद्वार में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. हर की पौड़ी पर भक्तों का तांता लगा हुआ है. भक्त यहां पूजा-अर्चना और पवित्र स्नान कर रहे हैं. बैसाखी को देखते हुए सुरक्षा के भी कड़े इंतजामों किए गए हैं. साथ ही शहर को जोन और सेक्टर में बांटा गया है.
Uttarakhand: On Vaisakhi, a massive crowd of devotees gathered in Haridwar to take a holy dip in the Ganges. With heavy security arrangements, the city was divided into zones and sectors. Authorities ensured safety, crowd management, and smooth celebration throughout pic.twitter.com/PVb7aNVJAY
— IANS (@ians_india) April 13, 2025

इसी तरह अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. सुबह से स्वर्ण मंदिर में 'अमृत सरोवर' में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं.
#WATCH पंजाब: बैसाखी के अवसर पर अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। pic.twitter.com/wSOYEpKgg6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 13, 2025
क्यों मनाई जाती है बैसाखी
बैसाखी का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है. कहा जाता है कि नई फसल के आगमन की खुशी में ये पर्व मनाया जाता है. इस दिन के बाद से ही पंजाब और उससे लगने वाले राज्यों में फसलों की कटाई शुरू कर दी जाती है.

इसके अलावा, उत्तरी राज्यों जैसे उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू, हिमाचल, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में लोग इस उत्सव को मनाते हैं और इस दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करते हैं.

जबकि भारत के अन्य हिस्सों में बैसाखी को भारतीय सौर नव वर्ष के रूप में भी माना जाता है.ये त्योहार देश में 13 से 15 अप्रैल तक मनाया जाएगा.

राष्ट्रपति ने दी बैसाखी की बधाई
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को फसल त्योहारों बैसाखी, विशु, बहाग बिहू, पोइला बोइशाख, मेशादी, वैशाखादी और पुथंडु पिरापु की पूर्वसंध्या पर शुभकामनाएं दीं. मुर्मू ने एक संदेश में कहा, ‘‘बैसाखी, विशु, बहाग बिहू, पोइला बोइशाख, मेशादी, वैशाखादी और पुथंडु पिरापु के शुभ अवसर पर, मैं भारत और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं.'' उन्होंने कहा कि ये त्योहार हमारी सामाजिक परंपराओं के प्रतीक हैं तथा प्रकृति के संरक्षण और हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का संदेश देते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि इनके माध्यम से हम किसानों की कड़ी मेहनत का सम्मान करते हैं और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं कामना करती हूं कि ये जीवंत त्योहार हमें अपने राष्ट्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित करें.''
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