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This Article is From Jul 08, 2014

बदायूं मामले में दोनों पीड़िताओं की नए सिरे से पोस्टमार्टम कराएगी सीबीआई

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के बदायूं में दो लड़कियों से कथित बलात्कार और उनकी हत्या के मामले को आज एक नया मोड़ देते हुए सीबीआई ने दोनों लड़कियों का नए सिरे से पोस्टमार्टम किए जाने के लिए कब्र खोद कर उनका शव निकालने का फैसला किया। दरअसल, सीबीआई को लगता है कि पोस्टमार्टम करने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।

एजेंसी में मौजूद उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पहला पोस्टमार्टम रात के वक्त किया गया था, जो निर्धारित कार्यप्रणाली के सामान्यतया खिलाफ है। पोस्टमार्टम सूर्यास्त के बाद नहीं किया जाता, सिवाय अपवादस्वरूप आपात मामलों को छोड़कर।

शव निकालने से पहले सीबीआई एक मेडिकल बोर्ड गठित करेगी जिसके बाद वह नए सिरे से पोस्टमार्टम के लिए दोनों लड़कियों की कब्र खोद कर उनके शव निकालने को लेकर निर्देश लेने के लिए एक स्थानीय अदालत का रुख करेगी।

राज्य सरकार के शव परीक्षण रिपोर्ट में सिर्फ बलात्कार होने की ओर संकेत किया गया था, जबकि इसे साबित करने वाले निष्कर्ष नहीं दिए गए थे। सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम एक महिला चिकित्सक ने किया था, जिनके पास इसका कोई अनुभव नहीं था।

गौरतलब है कि 14 और 15 साल की दोनों चचेरी बहनें 27 मई की रात अपने घर से लापता हो गई थी और उनके शव अगले दिन उशैत इलाके के गांव में एक पेड़ से लटकते पाये गये थे। इस घटना पर देश भर में गुस्से का माहौल था।

इस बीच, सीबीआई ने केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में दोनों मृतका के पिताओं की 'पॉलीग्राफ जांच' जारी रखी है। सूत्रों ने बताया कि घटनाक्रम के बारे में दोनों लड़कियों के पिताओं और एक प्रत्यक्षदर्शी से लड़कियों के लापता होने की रात के घटनाक्रम, लड़कियों के मोबाइल फोन, घटना के बारे में जब अभिभावकों को मिली पहली जानकारी के बारे में सवाल पूछे गए लेकिन स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि चार लोगों को ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ (झूठ का पता लगाने की जांच) के लिए यहां लाया गया था, क्योंकि जांच एजेंसी उनके दिए बयानों से सहमत नहीं थी। इन लोगों में दोनों लड़कियों के पिता, परिवार के एक रिश्तेदार और एक प्रत्यक्षदर्शी शामिल है।

सूत्रों ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों ने घटनाओं की जो कड़ी बताई है, उनमें कई खामियां हैं जिन्हें किसी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले स्पष्ट करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बयानों में एकरूपता नहीं है।

उन्होंने बताया कि सीबीआई ने इन चार लोगों की ‘पॉलीग्राफ’ या ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ के लिए बदायूं की अदालत से तीन दिन का वक्त लिया है, लेकिन यदि प्रक्रिया पहले पूरी हो गई तो इन्हें जाने की इजाजत दी जा सकती है।

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि उन्हें लड़कियों (मृतका) के परिवारों के दावों पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन एक दोषरहित मामला बनाने के लिए एजेंसी को उनके बयानों की सत्यता जांचने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक एएल बनर्जी ने भी इस घटना पर सवाल उठाए थे। उन्होंने दावा किया था कि एक लड़की से बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है, जबकि संकेत दिया था कि इस अपराध के पीछे संपत्ति विवाद एक कारण हो सकता है।

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