प्रतीकात्मक फोटो
जयपुर:
देश में आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान और खास तौर पर जयपुर की सैर जरूर करता है, लेकिन दुःख की बात यह है कि सैलानियों को पसंद आने वाला राजस्थान सफाई मापदंडों के नजरिये से पिछड़ता चला जा रहा है। हाल ही में हुए स्वच्छ भारत सर्वे में राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों को बहुत नीचे की रैंकिंग मिली।
देश के 476 शहरों में से जयपुर 370 वें स्थान पर और सूर्य नगरी जोधपुर 337 वें स्थान पर है। उदयपुर का हाल और भी बुरा है। इसका स्थान 417 वां है। महाराणा प्राताप की नगरी चित्तौड़गढ़ नीचे से छठे स्थान पर है।
अगर राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर की सैर करें तो सफर सुहाना रहता है। किले , महल , ऐतिहासिक स्मारक, यह सब पर्यटकों की पसंद आते हैं और लोगों को यहां खींच के लाते हैं। लेकिन जहां पर्यटकों की आवाजाही इतनी हो, वहां सड़कों पर गन्दगी, गोबर और जगह-जगह बिखरा हुआ कचरा, शहर को अशोभनीय बना देता है।
शहर में घूम रही एक फ्रांसीसी पर्यटक ओक्साना ने कहा " मैं माफी चाहूंगी, लेकिन आपका शहर गंदा तो है। यहां लोगों में सफाई व्यवस्था बनाए रखने की संस्कृति ही नहीं है।" एक स्थानीय नागरिक मधु शर्मा ने कहा "पर्यटक आते हैं तो हमको शर्मिंदगी महसूस होती है। शर्म आती है यह कहने में कि यह जयपुर सिटी है।"
रैंकिंग सिर्फ सफाई व्यवस्था को लेकर ही नहीं थी। कचरा फेंकने के क्या साधन हैं , क्या यहां खुले में शौच होता है और शहर में पेयजल कितना साफ है आदि मापदंड भी रैंकिंग तय करने में अपनाए गए। जयपुर के नव निर्वाचित मेयर निर्मल नाहटा कहते हैं सफाई उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा "हम 100 प्रतिशत शहर के कचरे का निस्तारण करेंगे । रैंकिंग में कुछ ऐसी चीज़ें भी सम्मिलित हैं जो निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। वहां कहीं न कहीं हम पिछड़े हैं। "
सिर्फ जयपुर ही नहीं, राजस्थान के अन्य पर्यटन नगरों का भी हाल बुरा है। उदयपुर और भी बदहाल है। "हमारी नगरी हमारा शहर, झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। हमारी जिम्मेदारी है कि हमारा शहर साफ सुथरा रहे। " यह बात कही चन्दन ने, जिन्हें बहुत दुःख हुआ यह जानकर कि उदयपुर को स्वछ भारत इंडेक्स में बहुत कम नंबर मिले हैं। लगता है कि सरकार के साथ-साथ, पर्यटन व्यवसाय से अपनी जीविका चलाने वाले राजस्थान के इन शहरों के लोग अगर शहर को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें तो काफी कुछ बदल सकता है।
देश के 476 शहरों में से जयपुर 370 वें स्थान पर और सूर्य नगरी जोधपुर 337 वें स्थान पर है। उदयपुर का हाल और भी बुरा है। इसका स्थान 417 वां है। महाराणा प्राताप की नगरी चित्तौड़गढ़ नीचे से छठे स्थान पर है।
अगर राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर की सैर करें तो सफर सुहाना रहता है। किले , महल , ऐतिहासिक स्मारक, यह सब पर्यटकों की पसंद आते हैं और लोगों को यहां खींच के लाते हैं। लेकिन जहां पर्यटकों की आवाजाही इतनी हो, वहां सड़कों पर गन्दगी, गोबर और जगह-जगह बिखरा हुआ कचरा, शहर को अशोभनीय बना देता है।
शहर में घूम रही एक फ्रांसीसी पर्यटक ओक्साना ने कहा " मैं माफी चाहूंगी, लेकिन आपका शहर गंदा तो है। यहां लोगों में सफाई व्यवस्था बनाए रखने की संस्कृति ही नहीं है।" एक स्थानीय नागरिक मधु शर्मा ने कहा "पर्यटक आते हैं तो हमको शर्मिंदगी महसूस होती है। शर्म आती है यह कहने में कि यह जयपुर सिटी है।"
रैंकिंग सिर्फ सफाई व्यवस्था को लेकर ही नहीं थी। कचरा फेंकने के क्या साधन हैं , क्या यहां खुले में शौच होता है और शहर में पेयजल कितना साफ है आदि मापदंड भी रैंकिंग तय करने में अपनाए गए। जयपुर के नव निर्वाचित मेयर निर्मल नाहटा कहते हैं सफाई उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा "हम 100 प्रतिशत शहर के कचरे का निस्तारण करेंगे । रैंकिंग में कुछ ऐसी चीज़ें भी सम्मिलित हैं जो निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं। वहां कहीं न कहीं हम पिछड़े हैं। "
सिर्फ जयपुर ही नहीं, राजस्थान के अन्य पर्यटन नगरों का भी हाल बुरा है। उदयपुर और भी बदहाल है। "हमारी नगरी हमारा शहर, झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। हमारी जिम्मेदारी है कि हमारा शहर साफ सुथरा रहे। " यह बात कही चन्दन ने, जिन्हें बहुत दुःख हुआ यह जानकर कि उदयपुर को स्वछ भारत इंडेक्स में बहुत कम नंबर मिले हैं। लगता है कि सरकार के साथ-साथ, पर्यटन व्यवसाय से अपनी जीविका चलाने वाले राजस्थान के इन शहरों के लोग अगर शहर को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें तो काफी कुछ बदल सकता है।
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