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This Article is From Apr 06, 2018

अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच हुई तीखी बहस, अगली सुनवाई 27 अप्रैल को

मुस्लिम पक्ष की ओर से मामला संवैधानिक पीठ को भेजने की मांग की गई, कोर्ट ने कहा जवाब से संतुष्ट करें क्यों भेजा जाए यह मामला

अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच हुई तीखी बहस, अगली सुनवाई 27 अप्रैल को
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
वकील राजीव धवन ने कहा, यह मामला बहुविवाह से ज्यादा अहम
देश की जनता जानना चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट क्या कर रहा है?
हिंदू पक्ष ने लहजे का विरोध किया, कहा- कि ये किस तरह की भाषा है?
नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मुस्लिम और हिंदू पक्ष की ओर से पेश वकीलों के बीच तीखी बहस हुई. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह मामला संवैधानिक पीठ को भेजने की मांग की गई जिस पर कोर्ट ने कहा कि आप संतुष्ट करें कि यह केस संविधान पीठ को क्यों भेजा जाए? मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर बहुविवाह का मामला संवैधनिक पीठ के पास भेजा जा सकता है तो ये क्यों नहीं? राजीव धवन ने कहा कि बहुविवाह से ज्यादा महत्वपूर्ण यह मामला है कि मस्जिद में नमाज़ अदा करना इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं.

राजीव धवन ने कहा कि एक तरफ आपने बहुविवाह का मामला संवैधनिक पीठ के पास भेज दिया, जबकि इसमें तय किया जा रहा है कि इसे भेजा जा सकता है या नहीं. देश की जनता जानना चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट क्या कर रहा है.

हालांकि दूसरे पक्ष ने इस लहजे का विरोध किया और कहा कि ये किस तरह की भाषा है? देश की जनता जानना चाहती है, ये क्या बात है?

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सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से कहा कि आप हमें संतुष्ट करें कि इस्माइल फारुखी केस को संविधान पीठ को क्यों भेजा जाए? कोर्ट ने कहा ये बहस का कोई तरीका नहीं होता कि आप कह रहे हैं कि इस्माइल फारुखी केस को संविधान पीठ के पास भेज दिया जाए और आप वहां बहस करेंगे. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम तय करेंगे कि मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं.

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वकील तुषार मेहता ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस कर रहे राजीव धवन पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप बार-बार मीडिया को बीच में क्यों ला रहे हैं. इससे संस्थान कमजोर होता है, संस्थान को धक्का पहुंचता है.

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दरअसल मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस कर रहे राजीव धवन ने कहा था कि मीडिया कोर्ट रूम में मौजदू है. कोर्ट क्यों नही कह देता कि बहुविवाह का मामला इस मामले से ज्यादा जरूरी है.

वहीं हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी केस पर मुस्लिम पक्ष से बहस करने को कहा था, आप उस पर बहस करें, बहुविवाह पर बहस क्यों? हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि ये बहस करने का कोई तरीका नहीं है कि हर बार मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये कहा जा रहा है कि इस सवाल का जवाब कोर्ट दे.

इस पर राजीव धवन ने हिंदू पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील के परासरण पर टिप्पणी की, जिससे कोर्ट का माहौल गर्म हो गया. हिंदू पक्ष की तरफ से कहा गया कि वरिष्ठ वकील की परासरण पर टिप्पणी सही नहीं है. ये किस तरह की बहस हो रही है. इस तरह तो कोर्ट में कभी बहस नहीं की गई. क्या कोई वरिष्ठ वकील को ये कह सकता है कि वे क्या बकवास कर रहे हैं?

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मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

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