बीजेपी अपने शिखर पुरुषों की मूर्तियां गढ़ने लगी है. पहली बार है कि पार्टी के तीन शिखर पुरुषों की शिखर छूतीं 65 फीट की कांस्य प्रतिमाएं एक पार्क में नजर आएंगी. लखनऊ में 65 एकड़ में फैले और 230 करोड़ से बने इस पार्क को राष्ट्र प्रेरणा स्थल नाम दिया गया है. अटल के जन्म शताब्दी महोत्सव की कड़ी में आज पीएम मोदी इस पार्क का उद्घाटन करेंगी. पार्क में अटल के साथ जिन दो अन्य नेताओं की मूर्तियां लगी हैं वे हैं श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय. इससे पहले लखनऊ के अलावा नोएडा जैसे इलाकों में बसपा शासनकाल में बड़े-बड़े पार्क में महापुरुषों की विशाल प्रतिमाएं लगवाई गई थीं.
जनसंघ के संस्थापकों में से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर के मुद्दे पर जो वैचारिक एजेंडा आगे रखा था, उसे पार्टी ने तमाम झटकों के बावजूद कभी नहीं छोड़ा, भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद 2 सीटों से लेकर 282 सीटों तक पहुंचने तक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी ने पुरजोर प्रयास किया. पीएम मोदी की अगुवाई में जब बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ 2019 में सत्ता में लौटी थी तो कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया. पार्टी ने एक विधान, एक संविधान और एक झंडे का अपना मिशन पूरा किया.
वहीं बीजेपी ने केंद्र की सत्ता में पूर्ण बहुमत से आने और राज्यों में विस्तार के साथ दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय योजना को साकार किया है. उनकी सोच समाज की आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्तियों के उत्थान से जुड़ी थी. मोदी सरकार ने उज्जवला, 5 लाख तक के मुफ्त इलाज की आयुष्मान योजना, जनधन योजना, मुफ्त खाद्यान्न योजना, पीएम आवास योजना इसी एजेंडे को साकार करने की सोच को दिखाती है.
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अटल जी का लंबा राजनीतिक करियर
25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी देश के 10वें प्रधानमंत्री थे. वो तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे. पहले 13 दिन के लिए 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक. दूसरी बार 8 महीने के लिए 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. अटल जी हिंदी कवि, पत्रकार और एक प्रखर वक्ता थे. अटल जनसंघ के संस्थापक में से एक थे और 1968 से 1973 तक जनसंघ अध्यक्ष भी रहे. अटल जी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, 10 बार और दो बार राज्यसभा सांसद चुने गए थे. वो लखनऊ से लंबे समय तक सांसद रहे.
जनसंघ के संस्थापकों में से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था.एक भारतीय बैरिस्टर, शिक्षाविद और हिंदुत्व समथर्क के साथ कई सरकारों में मंत्री रहे थे. उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा नियुक्त किया गया था. मुखर्जी एक राष्ट्रवादी नेता थे. जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल (1947-1950) में वो देश के पहले उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बने. पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अत्याचार का विरोध करते हुए नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में इस्तीफा दे दिया. उन्होंने 1953 में जम्मू और कश्मीर में राज्य की परमिट प्रणाली का विरोध किया. उन्होंने एक देश, एक संविधान और एक ध्वज का नारा लगाया था. हिरासत के दौरान 1953 में उनका निधन हो गया. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की.
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दीनदयाल उपाध्याय संघ के प्रचारक रहे
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ था. वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और संगठनकर्ता थे और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी. उन्होंने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे. 1937 में जब वह कानपुर से पढ़ाई के दौरान सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से वो संघ के संपर्क में आए. संघ के संस्थापक डॉ० केशवराम हेडगेवार से भी उनकी मुलाकात हुई. उपाध्याय ने संघ से प्रशिक्षण के बाद उसके आजीवन प्रचारक बने. 1967 तक दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे. कालीकट अधिवेशन 1967 में उपाध्याय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए. लेकिन 43 दिन के अध्यक्ष रहने के बाद 10-11 फरवरी 1968 की रात मुगलसराय स्टेशन पर उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई.
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