असम में हुई हिंसा पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जिसमें आज बीजेपी ने केंद्र और राज्य की कांग्रेस सरकारों की 'वोट बैंक' की राजनीति को दोषी बताया, जबकि जम्मू-कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस ने इसके लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया।
बोडो इलाकों में बृहस्पतिवार से हुई हिंसा में 32 लोगों की मौत होने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए कहा कि मोदी का अर्थ 'मॉडल ऑफ डिवाइडिंग इंडिया (भारत को बांटने का मॉडल)’ बताया और भाजपा नेताओं पर वोट पाने के लिए 'सांप्रदायिक कार्ड' खेलने का आरोप लगाया।
असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बीजेपी से कहा कि वह मामले का राजनीतिकरण ना करे। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था लागू करने का उनका ट्रैक रेकार्ड भाजपा शासित गुजरात से बेहतर है।
वहीं राजधानी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'यह मेरा आरोप है कि असम में जो कुछ भी हो रहा है वह कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति का नतीजा है।' प्रसाद ने आरोप लगाया कि अतीत में ऐसी दो घटनाएं होने के बावजूद कांग्रेस ने दंगे रोकने के लिए समय पर समुचित कदम नहीं उठाए। उन्होंने राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी सवाल उठाया कि उन्होंने पिछले 10 वर्ष में राज्य में कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए क्या किया है, जबकि बोडो और प्रवासी बांग्लादेशियों के बीच लगातार संघर्ष की घटनाएं हो रही हैं।
उधर, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुला ने हिंसा के लिए भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया। बारामुला लोकसभा क्षेत्र के तंगमार्ग में चुनावी रैली में उमर ने कहा, 'असम में 30 मुसलमानों की हत्या कर दी गई है। क्यों? भाजपा से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने वहां एक भाषण दिया था और लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया था। यह सच है। इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है।' (पढ़ें- उमर ने असम हिंसा के लिए मोदी को क्यों ठहराया जिम्मेदार)
वहीं उमर की टिप्पणी पर प्रसाद ने कहा, 'मुझे लगता है कि उमर को उनके राज्य के लोग ही गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।'
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम में 'कायराना' आतंकी हमले की आज निंदा की और कहा कि केंद्र कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और शांति बहाली के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। (पढ़ें- असम के हालात पर हैं प्रधानमंत्री की नजर)
इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने अपने मंत्रिमंडल की आपात बैठक की, जिसमें हिंसा की एनआईए से जांच करवाने की मांग की गई। गोगोई ने विपक्ष के इस्तीफे की मांग को ठुकराते हुए कहा कि वह कायर नहीं हैं और उग्रवादियों से मुकाबला करेंगे।
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