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This Article is From Jul 27, 2012

असम हिंसा : गोगोई ने कहा, हालात बिगड़ते ही केंद्र से मांगी थी मदद

कोकराझार/ बोंगाइगांव/ गुवाहाटी / नई दिल्ली: हिंसा की आग में झुलस रहे असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का कहना है कि उन्होंने हालात बिगड़ने पर फौरन ही केंद्र से सुरक्षा बलों की मांग की थी। गोगोई का कहना है कि वह किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं, लेकिन तल्ख लहजे में उन्होंने कहा कि क्या सेंट्रल फोर्स एक दिन में ही पहुंच सकती है।

गोगोई का कहना है कि असम की हिंसा में अब तक 45 लोग मारे जा चुके हैं और तकरीबन 4 लाख लोग बेघर हो गए हैं। इस बीच सेना की सात और टुकड़ियां भेजी जा रही हैं। सेना ने अशांत कोकराझार में फ्लैगमार्च किया और कुछ प्रभावित जिलों में कर्फ्यू में ढील दी गई। हिंसा के आठवें दिन भी 11 लोग लापता बताए जाते हैं।

बक्सा जिले में अल्पसंख्यक प्रवासियों तथा बोडो समुदाय के बीच गुरुवार को झड़प की खबरें थीं। यहां के देवधर गांव के सिमला में शुक्रवार को अज्ञात व्यक्तियों ने तीन मकानों में आग लगा दी, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। दंगा प्रभावित तीन जिलों- कोकराझार, चिरांग और धुबरी में हमले की छिटपुट घटनाएं हुईं और दो समुदायों के बीच टकराव भी हुआ।

सूत्रों ने बताया कि कोकराझार जिले में सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। धुबरी जिले में कर्फ्यू में सुबह आठ बजे से रात 10 बजे तक ढील दी गई है। चिरांग में रात्रिकालीन कर्फ्यू जारी रहेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोकराझार जिले की स्थिति का जायजा लेने शनिवार को आएंगे। इस जिले में हताहतों की संख्या सर्वाधिक है। दो दिन तक बाधित रहने के बाद बहाल रेल सेवाएं सामान्य रूप से चल रही हैं।

सूत्रों ने बताया कि करीब दो लाख लोग 250 राहत शिविरों में रह रहे हैं। असम के स्वास्थ्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने बताया कि कोकराझार, बोंगईगांव, चिरांग, बक्सा और धुबरी में गुरुवार को चिकित्सा दल भेजे गए थे। इनके अलावा 55 अतिरिक्त डॉक्टरों को भी भेजा गया है।

हिंसा के छह दिन बाद गुरुवार को तरुण गोगोई ने प्रभावित इलाकों को दौरा किया, जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि दो−तीन दिन में हालात सामान्य हो जाएंगे।

गुरुवार को दिल्ली में असम के मौजूदा हालात पर तमाम पार्टियों के सांसदों ने गृहमंत्री से मुलाकात कर राज्य के मुख्यमंत्री की शिकायत की। इन सांसदों का कहना था कि दंगे रोकना उनके बूते की बात नहीं, लिहाजा केंद्र को दखल देना चाहिए।

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