नई दिल्ली:
असम के हिंसा प्रभावित चार जिलों के लिए सेना ने बुधवार को एक हजार जवानों को रवाना किया और वहां फ्लैग मार्च किया गया ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा, ‘‘असम के हिंसा प्रभावित कोकराझार, चिरांगुरी, धुबरी और बोंगाईगांव में शांति बहाल करने के लिए सेना की 13 टुकड़ियां रवाना की गई हैं। जवान इन इलाकों में फ्लैग मार्च भी कर रहे हैं।’’
पिछले कुछ दिनों से इन इलाकों में जातीय संघर्ष छिड़ने के बाद से करीब दो लाख लोग इन चार जिलों में अपना घर-बार छोड़कर फरार हो चुके हैं। राज्य सरकार ने कई इलाकों में करीब 70 हजार लोगों के लिए 120 से ज्यादा राहत शिविर स्थापित किए हैं जिन्होंने सुरक्षित इलाके की तलाश में अपने गांव छोड़ दिए हैं।
इन शिविरों की रक्षा केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन 13 टुकड़ियों में एक हजार से ज्यादा जवान हैं जो दंगा सहित हर तरह की स्थिति से निपटने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘तीन टुकड़ियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षित रखा गया है।’’ दंगा विरोधी अभ्यास के अलावा सेना के जवान इन इलाकों में नियमित तौर पर आतंकवाद निरोधक और उग्रवाद निरोधक अभियानों में संलग्न हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर इलाके आतंकवाद और उग्रवाद से अब भी ग्रस्त हैं। हमें सुनिश्चित करना है कि वहां स्थिति और नहीं बिगड़े।’’ हिंसा में 41 लोगों के मारे जाने की खबर के बाद असम के कई इलाकों में देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
इन इलाकों में स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य सरकार ने कई बैठकें की हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है। सेना ने आज असम के हिंसा प्रभावित चार जिलों में तैनाती के लिए लगभग एक हजार सैनिकों को भेज दिया जो वहां लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फ्लैग मार्च कर रहे हैं। गुवाहाटी में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने स्थिति की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव सहित सरकारी अधिकारियों की बैठक की।
असम के पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) एलआर बिश्नोई ने प्रेट्र को बताया, ‘‘कोकराझार जले में अब तक 25 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि चिरांग जिले में 15 लोगों की जान गई है।’’ कोकराझार में निश्चितकालीन कफ्र्यू जारी है, जबकि चिरांग और धुबरी जिलों में रात का कफ्र्यू लगा है।
बिश्नोई ने कहा, ‘‘स्थिति स्थिर हो रही है।’’ पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के प्रवक्ता नृपेंद्र भट्टाचार्जी ने कहा कि आज दोपहर बाद यात्री गाड़ी और माल गाड़ी सेवाओं को आंशिक रूप से शुरू कर दिया गया, जबकि रुकी पड़ी ट्रेनें स्थिति में सुधार होने पर चलेंगी।
न्यू बोंगाईगांव, कामाख्यागुड़ी और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशनों पर फंसे 30 हजार से अधिक यात्रियों ने भोजन एवं पानी की किल्लत की शिकायत की। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि ट्रेन सेवाएं शुरू होने के साथ फंसे यात्रियों को धीरे-धीरे उनके गंतव्यों पर ले जाया जाएगा।’’
गृह विभाग के संयुक्त सचिव और पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी शंभू सिंह तथा आंतरिक सुरक्षा मामलों के विशेष सचिव अजय चड्ढा ने स्थिति का जायजा लेने के लिए कोकराझार के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। सिंह ने बाद में कहा, ‘‘अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि घटना में बांग्लादेशी प्रवासी शामिल हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और इसलिए घुसपैठ की संभावनाएं कम हुई हैं।’’
उन्होंने भी लोगों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया। सर्वदलीय टीम ने राहत शिविरों में प्रभावित लोगों से मुलाकात की और विभिन्न स्थानों पर शांति बैठकें कर आश्वासन दिया कि सभी तबके के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के पुलिस अधीक्षक सुगातो सेन ने बताया कि करीब दो हजार लोगों ने जिले के बारोविसा, कुमारग्राम, बाकसिरहाट और अलीपुरदूआर जंक्शन स्टेशन पर शरण ली है। उन्होंने बताया कि इन लोगों को शिविरों में रखा गया है। अलीपुरदूआर में एक शिविर रेलवे ने खोला है, जबकि अन्य शिविर राज्य सरकार द्वारा खोले गए हैं। अलीपुरदूआर जंक्शन शिविर में करीब 250 लोगों ने शरण ली है।
सेन ने बताया कि शरण लेने वालों में से कुछ लोग कोकराझार में स्थिति में सुधार के बाद वहां लौट गए हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अलीपुरदूआर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक अनिरबन दत्ता ने कहा कि सेना से आश्वासन मिलने के बाद अलीपुरदूआर और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशनों से तीन ट्रेनों को चलने की अनुमति दी गई।
असम विधानसभा की 20 सदस्यीय सर्वदलीय टीम ने उपाध्यक्ष भीमानंद तांती के नेतृत्व में निचले असम के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और लोगों तथा विभिन्न स्थानीय नेताओं से मुलाकात की। उधर, माकपा पोलित ब्यूरो ने दिल्ली में जारी एक बयान में आरोप लगाया कि असम सरकार हिंसा को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई करने में पूरी तरह विफल रही।
पार्टी ने कहा कि विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और तनाव के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज किया गया। केंद्र सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उसने हिंसा को लेकर कार्रवाई करने में इतना विलम्ब क्यों किया।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा, ‘‘असम के हिंसा प्रभावित कोकराझार, चिरांगुरी, धुबरी और बोंगाईगांव में शांति बहाल करने के लिए सेना की 13 टुकड़ियां रवाना की गई हैं। जवान इन इलाकों में फ्लैग मार्च भी कर रहे हैं।’’
पिछले कुछ दिनों से इन इलाकों में जातीय संघर्ष छिड़ने के बाद से करीब दो लाख लोग इन चार जिलों में अपना घर-बार छोड़कर फरार हो चुके हैं। राज्य सरकार ने कई इलाकों में करीब 70 हजार लोगों के लिए 120 से ज्यादा राहत शिविर स्थापित किए हैं जिन्होंने सुरक्षित इलाके की तलाश में अपने गांव छोड़ दिए हैं।
इन शिविरों की रक्षा केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन 13 टुकड़ियों में एक हजार से ज्यादा जवान हैं जो दंगा सहित हर तरह की स्थिति से निपटने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘तीन टुकड़ियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षित रखा गया है।’’ दंगा विरोधी अभ्यास के अलावा सेना के जवान इन इलाकों में नियमित तौर पर आतंकवाद निरोधक और उग्रवाद निरोधक अभियानों में संलग्न हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर इलाके आतंकवाद और उग्रवाद से अब भी ग्रस्त हैं। हमें सुनिश्चित करना है कि वहां स्थिति और नहीं बिगड़े।’’ हिंसा में 41 लोगों के मारे जाने की खबर के बाद असम के कई इलाकों में देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
इन इलाकों में स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य सरकार ने कई बैठकें की हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है। सेना ने आज असम के हिंसा प्रभावित चार जिलों में तैनाती के लिए लगभग एक हजार सैनिकों को भेज दिया जो वहां लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फ्लैग मार्च कर रहे हैं। गुवाहाटी में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने स्थिति की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव सहित सरकारी अधिकारियों की बैठक की।
असम के पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) एलआर बिश्नोई ने प्रेट्र को बताया, ‘‘कोकराझार जले में अब तक 25 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि चिरांग जिले में 15 लोगों की जान गई है।’’ कोकराझार में निश्चितकालीन कफ्र्यू जारी है, जबकि चिरांग और धुबरी जिलों में रात का कफ्र्यू लगा है।
बिश्नोई ने कहा, ‘‘स्थिति स्थिर हो रही है।’’ पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के प्रवक्ता नृपेंद्र भट्टाचार्जी ने कहा कि आज दोपहर बाद यात्री गाड़ी और माल गाड़ी सेवाओं को आंशिक रूप से शुरू कर दिया गया, जबकि रुकी पड़ी ट्रेनें स्थिति में सुधार होने पर चलेंगी।
न्यू बोंगाईगांव, कामाख्यागुड़ी और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशनों पर फंसे 30 हजार से अधिक यात्रियों ने भोजन एवं पानी की किल्लत की शिकायत की। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि ट्रेन सेवाएं शुरू होने के साथ फंसे यात्रियों को धीरे-धीरे उनके गंतव्यों पर ले जाया जाएगा।’’
गृह विभाग के संयुक्त सचिव और पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी शंभू सिंह तथा आंतरिक सुरक्षा मामलों के विशेष सचिव अजय चड्ढा ने स्थिति का जायजा लेने के लिए कोकराझार के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। सिंह ने बाद में कहा, ‘‘अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि घटना में बांग्लादेशी प्रवासी शामिल हैं। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और इसलिए घुसपैठ की संभावनाएं कम हुई हैं।’’
उन्होंने भी लोगों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया। सर्वदलीय टीम ने राहत शिविरों में प्रभावित लोगों से मुलाकात की और विभिन्न स्थानों पर शांति बैठकें कर आश्वासन दिया कि सभी तबके के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के पुलिस अधीक्षक सुगातो सेन ने बताया कि करीब दो हजार लोगों ने जिले के बारोविसा, कुमारग्राम, बाकसिरहाट और अलीपुरदूआर जंक्शन स्टेशन पर शरण ली है। उन्होंने बताया कि इन लोगों को शिविरों में रखा गया है। अलीपुरदूआर में एक शिविर रेलवे ने खोला है, जबकि अन्य शिविर राज्य सरकार द्वारा खोले गए हैं। अलीपुरदूआर जंक्शन शिविर में करीब 250 लोगों ने शरण ली है।
सेन ने बताया कि शरण लेने वालों में से कुछ लोग कोकराझार में स्थिति में सुधार के बाद वहां लौट गए हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अलीपुरदूआर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक अनिरबन दत्ता ने कहा कि सेना से आश्वासन मिलने के बाद अलीपुरदूआर और न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशनों से तीन ट्रेनों को चलने की अनुमति दी गई।
असम विधानसभा की 20 सदस्यीय सर्वदलीय टीम ने उपाध्यक्ष भीमानंद तांती के नेतृत्व में निचले असम के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और लोगों तथा विभिन्न स्थानीय नेताओं से मुलाकात की। उधर, माकपा पोलित ब्यूरो ने दिल्ली में जारी एक बयान में आरोप लगाया कि असम सरकार हिंसा को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई करने में पूरी तरह विफल रही।
पार्टी ने कहा कि विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास और तनाव के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज किया गया। केंद्र सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि उसने हिंसा को लेकर कार्रवाई करने में इतना विलम्ब क्यों किया।
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