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This Article is From Aug 14, 2021

साम्प्रदायिक हिंसा रोकेगा असम का बीफ कंजम्प्शन बिल : हिमंत बिस्व सरमा

मुख्यमंत्री ने कहा, "पिछले पांच वर्षों में या उस अवधि के बाद के अधिकांश सांप्रदायिक संघर्ष मूल रूप से गोमांस के आसपास केंद्रित थे. अब अगर किसी गैर-बीफ खाने वाले समुदाय के 5 किमी के भीतर गोमांस खाने वाले व्यक्ति को इसका सेवन करने की अनुमति नहीं होगी, तो कोई संघर्ष भी नहीं होगा." 

साम्प्रदायिक हिंसा रोकेगा असम का बीफ कंजम्प्शन बिल : हिमंत बिस्व सरमा
असम सीएम ने कहा कि इस कानून से बीफ खाने के विवाद पर होने वाली हिंसक घटनाओं से बचने में भी मदद मिल सकेगी.
गुवाहाटी:

असम सरकार ने कहा है कि राज्य में मवेशियों की सुरक्षा के कानून (असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021) से बीफ खाने के विवाद पर होने वाली हिंसक घटनाओं  से बचने में भी मदद मिल सकेगी. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "हमने इस विधेयक को विधानसभा सत्र के पहले दिन पेश किया था. बीच की अवधि लगभग 30 दिनों की थी. अब हम सभी संशोधनों पर विचार करने के लिए तैयार हैं. यह वास्तव में एक-दो संशोधन हैं.  हालांकि, विपक्ष उनके बारे में उचित तथ्य पेश नहीं कर सका है."

उन्होंने कहा, "हमारा मवेशी बिल और कुछ नहीं बल्कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के 1950 के बिल में सुधार है." उन्होंने कहा, "बिल अनुच्छेद 48 और महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है."

सरकार द्वारा विधेयक को एक प्रवर समिति को भेजने से इनकार करने के विरोध में विपक्षी दलों द्वारा बहिर्गमन के बीच असम विधानसभा ने आज मवेशियों के वध, खपत और परिवहन को विनियमित करने के लिए एक विधेयक पारित कर दिया. स्पीकर बिस्वजीत दैमारी ने असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 को पारित किए जाने की औपचारिक घोषणा की.

विधानसभा से पारित इस बिल के मुताबिक, "किसी भी मंदिर या मठ के 5 किमी के दायरे में कोई भी पशु वध, उसकी बिक्री या गोमांस की खपत (उपभोग) नहीं हो सकती है. जहां भी पर्याप्त संख्या में हिंदू, जैन, सिख या अन्य गैर-बीफ खाने वाले समुदाय के लोग रहते हैं, वहां बीफ का सेवन नहीं किया जा सकता है.''

खेती के उद्देश्य के लिए यदि मवेशियों की अंतर-जिला आवाजाही की आवश्यकता होगी तो सरकार की अनुमति लेनी जरूरी होगी. सरमा ने कहा, "हमें गांधी जी और अनुच्छेद 48 का पालन करना चाहिए- भोजन की आदत का अधिकार है लेकिन मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांतों के बीच संघर्ष के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, नीति निर्देशक सिद्धांत ही मान्य होंगे."

मुख्यमंत्री ने कहा, "पिछले पांच वर्षों में या उस अवधि के बाद के अधिकांश सांप्रदायिक संघर्ष मूल रूप से गोमांस के आसपास केंद्रित थे. अब अगर किसी गैर-बीफ खाने वाले समुदाय के 5 किमी के भीतर गोमांस खाने वाले व्यक्ति को इसका सेवन करने की अनुमति नहीं होगी, तो कोई संघर्ष भी नहीं होगा." 

सरमा ने कहा, "उत्तर प्रदेश में गोमांस पर पूर्ण प्रतिबंध है लेकिन असम में हमने गोमांस की बिक्री को विनियमित किया है क्योंकि असम में 36 प्रतिशत लोग इसका सेवन करते हैं." उन्होंने कहा, "अन्य उत्तर-पूर्व के राज्यों में मवेशियों या गोमांस की आवाजाही जारी रहेगी, लेकिन मालवाहकों के पास संबंधित राज्य सरकार का परमिट होना चाहिए."

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